मथुरा में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है। पहाड़ी क्षेत्रों जैसी ठिठुरन और घने कोहरे ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। तापमान में लगातार गिरावट और सर्द हवाओं के चलते गरीब, असहाय, राहगीरों और बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। ठंड से राहत के लिए शासन की ओर से स्थानीय निकायों के माध्यम से रेन बसेरों की व्यवस्था की जाती है, ताकि जरूरतमंद लोगों को रात में सुरक्षित और गर्म स्थान मिल सके। लेकिन मथुरा-वृंदावन नगर निगम द्वारा किए जा रहे रेन बसेरों की व्यवस्था के दावे जमीनी हकीकत से कोसों दूर नजर आ रहे हैं। शहर के कई रेन बसेरों पर ताले लटके हुए हैं, जिससे वे केवल कागजी और दिखावटी इंतजाम बनकर रह गए हैं। जिन लोगों के लिए ये रेन बसेरे बनाए गए हैं, वही लोग इनका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। बंद रेन बसेरों के बाहर ठंड से ठिठुरते लोग बैठने को मजबूर हैं। अंदर बुनियादी सुविधाएं होने के बावजूद जरूरतमंदों को उनका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। अधिकतर रेन बसेरों पर न तो कोई कर्मचारी तैनात है और न ही संचालन से जुड़ी कोई सूचना उपलब्ध है। नगर निगम सर्दी से पहले बेहतर इंतजामों के बड़े-बड़े दावे करता रहा है, लेकिन भीषण ठंड के बीच रेन बसेरों पर लगे ताले इन दावों की सच्चाई खुद बयां कर रहे हैं। बाहर से आने वाले श्रद्धालु और स्थानीय जरूरतमंद लोग नगर निगम की इस लापरवाही से खासे परेशान नजर आ रहे हैं।
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