वृंदावन के राधावल्लभ मंदिर में सोमवार से खिचड़ी उत्सव शुरू हो गया है। भगवान राधावल्लभ को ठंड से बचाने के लिए गर्म मसाले और मेवाओं से बनी खिचड़ी प्रसाद में अर्पित की जा रही है। मंदिर में सुबह से भक्तों की भीड़ है। यहां भक्ति में डूबे भक्त भगवान को संगीतमय पदों का गायन करते हुए खिचड़ी के पद सुना रहे हैं। पूरा परिसर भजन से गूंज रहा है। पद गायन कर किया भगवान को जागृत भगवान के मंगला आरती से पहले उनको जगाने के लिए समाजियों द्वारा 11 पदों का गायन किया गया। 11 पद जगार के होने के बाद भगवान जागे तो उनको सर्दी से राहत देने के लिए पंचमेवा और गर्म मसालों से बनी खिचड़ी परोसी गई। खिचड़ी के भोग के बाद भगवान राधावल्लभ लाल के पट खुले तो मंगला आरती की गई। इस दौरान मंदिर में मौजूद भक्त उनकी छवि के अलग अलग स्वरूप में दर्शन कर निहाल हो गए। हाथों में ग्लब्स,पैरों में मोजे और सर पर टोपी लगाए राधावल्लभ लाल की छवि बेहद ही निराली थी। भगवान राधावल्लभ लाल के खिचड़ी उत्सव के दर्शन करने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। भगवान की हुई मंगला आरती जगार के पदों का गायन करने के बाद भगवान को खिचड़ी के पद सुनाए गए। मंगल समय खिचड़ी ज़ैमत,श्री राधावल्लभ कुंज महल में रति रस्मसे गसे गुण तन मन नाहीन संभारत प्रेम महल में चुटकी देत सखि संभारावत हंसत हंसावत चहल पहल में जै श्री कुंजलाल हित यह विधि संवत समय समय सब रहत टहल में।। इन पदों के अलावा अन्य पदों के गायन के मध्य भगवान को खिचड़ी अर्पित की गई। 300 वर्षों से ज्यादा पुरानी है परंपरा राधावल्लभ मंदिर में भगवान को सर्दी से राहत के लिए खिचड़ी अर्पित की जाने की परंपरा 300 वर्ष से ज्यादा पुरानी है। मंदिर के सेवायत गोविंद बल्लभ गोस्वामी ने बताया यहां खिचड़ी खाई नहीं गाई भी जाती है। जैसे जैसे पद गायन होता है उसी के अनुसार खिचड़ी अर्पित की जाती है। पदों का गायन होने के बाद भगवान के दर्शन भक्तों के लिए खुलते हैं।
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