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मजदूर करते थे साइबर ठगी, गैंग का पर्दाफाश:गरीबों के कागजातों पर खुलवाते थे फर्जी अकाउंट, बैंक की भूमिका की भी होगी जांच

मेरठ की लालकुर्ती पुलिस और साइबर थाने ने फर्जी बैंक खाते खोलकर साइबर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। तीन आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं, जो पिछले काफी समय से साइबर ठगी को अंजाम देते आ रहे थे। इस गिरोह का काम गरीबों के कागजात से खाते खुलवाना और फिर उन्हें साइबर अपराधियों को बेच देना है। प्रोफाइल की बात करें तो मुख्य आरोपी जन सुविधा केंद्र चलाता है जबकि अन्य दोनों आरोपी मजदूरी करते हैं। एक नजर डालते हैं पूरी वारदात पर
पीएल शर्मा रोड पर सुधांशु भट्ट रहते हैं। 5 सितंबर को उनके पास एक अनजान नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले ने बताया कि उसे उनके खाते में 20 हजार रूपए डालने थे लेकिन वह गलती से 40 हजार चले गए हैं। सुधांशु ने टेक्स्ट मैसेज का इनबॉक्स देखा तो उसमें 40 हजार रूपए क्रेडिट का एक मैसेज आया हुआ था। उसने बिना देरी किए अपने बैंक खाते से ऑनलाइन ही 20 हजार रूपए उस कॉलर को वापस कर दिए। बैंक में जाकर पता चला फ्रॉड का
सुधांशु भट्ट ने पुलिस को बताया कि उसे अपने खाते से पैसे निकालने थे। उसने अपना खाता चेक किया तो उसमें कोई 40 हजार रूपए नहीं आए थे। वह सीधा बैंक आ गया। उसने बैंक में बात की तो पता चला कि उसके साथ यह साइबर अपराधियों ने फ्रॉड किया है। उसने ऑनलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज करा दी। बैंक ने भी आगे मदद से हाथ खड़े कर दिए। 13 दिसंबर को दोबारा आई कॉल
अभी सुधांशु के साथ हुए फ्रॉड पर ठीक से कार्रवाई भी नहीं हुई थी की 13 दिसंबर को उसके पास ऐसी ही दोबारा एक कॉल आ गई। वह समझ गया कि साइबर अपराधी स्कैम कर रहे हैं। वह तुरंत लालकुर्ती थाने आ गया और थानाध्यक्ष हरेंद्र कुमार सिंह को पूरी घटना बताई। पुराने फ्रॉड का भी जिक्र किया और मुकदमे की मांग की। थानाध्यक्ष ने FIR दर्ज की और जांच शुरू कर दी। जांच में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
लालकुर्ती पुलिस ने मामले में छानबीन शुरू की तो हैरान रह गई। जिस मोबाइल नंबर का जिक्र किया गया था उसके खिलाफ कई शिकायत पहले से दर्ज थीं। लालकुर्ती पुलिस ने साइबर थाने में संपर्क किया और उस मोबाइल नंबर की कुंडली खंगाल डाली। जांच रिपोर्ट देखकर पुलिस दंग रह गई। NCRP पोर्टल पर मिली 52 शिकायतें
साइबर थाना प्रभारी संजय पांडेय ने बताया कि जिन खाते में रकम पहुंची थी, वह शिवालिक स्मॉल फाइनेंस बैंक का खाता था। इस बैंक में 29 संदिग्ध खाते खुलवाए गए थे, जिनमें से 25 खातों के विरुद्ध NCRP पोर्टल पर 52 शिकायत दर्ज थी। इन 52 शिकायतों में से 39 शिकायतें उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों की थी। इन 39 शिकायत में से तीन शिकायत जनपद मेरठ के भावनपुर, रेलवे रोड और अब लालकुर्ती थाने में दर्ज हुई। मोबाइल नंबर से मिली बड़ी सफलता
पुलिस ने छानबीन को आगे बढ़ाया तो एक मोबाइल नंबर मिला, जिसको कई बैंक खातों से जोड़ा गया था। इसी मोबाइल नंबर से फर्जी कॉल भी की जाती थी। छानबीन में यह नंबर गौतमबुद्ध नगर के हल्द्वानी कुलेसरा निवासी एक जन सुविधा केंद्र का निकला जिसे अजय कुमार पुत्र राम सिंह चल रहा था। हिरासत में लेकर पूछताछ की गई तो उसने अपने दो साथियों कुलदीप पुत्र राजू निवासी जट्टारी थाना टप्पल अलीगढ़ और दिनेश पुत्र महावीर निवासी ग्राम गोंडा थाना गोंडा अलीगढ़ के नाम का खुलासा कर दिया। मजदूरों को फसाते थे अपने जाल में पुलिस ने अजय, कुलदीप और दिनेश की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ की तो पता चला कि वह मजदूरों के बैंक में खाते खुलवाते थे और एक हजार रूपए में उसे खरीद लेते थे। फिर यह लोगों को कॉल कर उन्हें अपने फेक बैंक SMS के जाल में फंसा कर ठगी की वारदात को अंजाम देते थे। खाता किसी और का होता था, इसलिए फ्रॉड करने वाले को खुद के पकड़े जाने का डर नहीं होता था। अभी तक इनके द्वारा लगभग चार लाख रुपए की फ्रॉड किए गए हैं।


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