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मंगल भवन को लेकर कानपुर में सियासी घमासान:सांसद और महापौर आमने-सामने आने के बाद विपक्षियों ने भी दी तिखी प्रतक्रिया

कानपुर में बने मंगल भवन को लेकर राजनीतिक विवाद तेज होता जा रहा है। भवन के निर्माण के बाद से ही शहर की राजनीति में हलचल मची हुई है। भारतीय जनता पार्टी के सांसद रमेश अवस्थी द्वारा महापौर प्रमिला पांडेय पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाने के बाद मामला और अधिक गरमा गया है। इसके साथ ही भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने भी इस पूरे प्रकरण को गंभीर बताते हुए प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर कथित अनियमितताओं की शिकायत की है, जिससे सत्ताधारी दल के भीतर ही असंतोष खुलकर सामने आ गया है। विपक्षियों ने भी दी प्रतक्रिया मामले ने जैसे ही तूल पकड़ा, विपक्षी दलों ने भी सरकार और नगर निगम पर तीखी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है। समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ बाजपेई ने पूरे मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि महापौर पर जो आरोप लगे हैं, वे साधारण नहीं हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर पार्क की जमीन पर भवन कैसे बनाया गया, इसके लिए एनओसी कैसे जारी हुई, भवन का नक्शा कहां से पास हुआ और इसका संचालन किसके अधीन रहेगा। उन्होंने कहा कि ये सभी सवाल मीडिया के माध्यम से जनता के सामने आए हैं और जिस तरह से खुद सत्ताधारी दल के सांसद इस विषय को उठा रहे हैं, उससे लगता है कि मामला कहीं न कहीं बेहद गंभीर है। उनका कहना है कि जब पार्टी के अंदर से ही आवाज उठ रही है तो इसका स्पष्ट अर्थ है कि “कुछ तो खेल है” और इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। एक तरफ सांसद हैं और दूसरी तरफ शहर की प्रथम नागरिक कांग्रेस के पूर्व नगर अध्यक्ष नौशाद आलम मंसूरी ने भी इस पूरे प्रकरण पर तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि “अभी आगे-आगे देखिए होता है क्या”, क्योंकि मामला केवल मंगल भवन तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि अब यह सत्ता के भीतर की खींचतान का रूप ले चुका है। उन्होंने कहा कि एक तरफ सांसद हैं और दूसरी तरफ शहर की प्रथम नागरिक, महापौर प्रमिला पांडेय, और दोनों ही एक ही राजनीतिक दल से हैं, इसके बावजूद आपसी सामंजस्य की जगह आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। उन्होंने कहा कि जहां शहर के विकास पर ध्यान देना चाहिए था, मंगल भवन को सकारात्मक तरीके से शुरू किया जाना चाहिए था और इसकी सुविधाएं आम नागरिकों तक पहुंचनी चाहिए थीं, वहां अब निजी प्रतिष्ठा और छिपे हुए एजेंडे को लेकर लड़ाई लड़ी जा रही है। उन्होंने कहा कि मंगल भवन को लेकर खड़े हुए इस विवाद का सबसे बड़ा नुकसान अब शहर की आम जनता को हो रहा है। विकास और जनहित के मुद्दे पीछे छूटते जा रहे हैं और राजनीतिक बयानबाजी आगे आ रही है।


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