बरेली। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 14 दिसंबर को हुई घटना के विरोध में अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। संगठन के पदाधिकारी और कार्यकर्ता सोमवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे और जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में भोपाल में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे नागरिकों पर की गई पुलिस कार्रवाई को लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत बताया गया। महासभा का आरोप है कि संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समानता के अधिकारों का उल्लंघन करते हुए मध्य प्रदेश में शांतिपूर्ण तरीके से ज्ञापन देने पहुंचे लोगों पर बल प्रयोग किया गया। संगठन ने बताया कि वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल मिश्रा के नेतृत्व में सैकड़ों शिक्षित महिला-पुरुष नागरिक अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन दे रहे थे। इस दौरान पुलिस ने उन पर पानी की बौछार की, लाठीचार्ज किया और कई लोगों को हिरासत में ले लिया। अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा ने इस कार्रवाई को अमानवीय और संवैधानिक मूल भावना के खिलाफ बताया। संगठन के नेताओं ने कहा कि भारतीय संविधान समानता और भेदभाव रहित समाज की स्थापना की बात करता है, किंतु वर्तमान व्यवस्था में नीतिगत फैसलों से समाज में विभाजन की स्थिति बन रही है। उन्होंने आरक्षण व्यवस्था को अस्थायी प्रावधान के बजाय स्थायी स्वरूप दिए जाने पर भी आपत्ति दर्ज कराई। ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति से मांग की गई कि भोपाल घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच कराई जाए। साथ ही, अनिल मिश्रा और उनके सहयोगियों को सुरक्षा व सम्मान प्रदान किया जाए तथा दोषी पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। संविधान की मूल भावना के अनुरूप समानता के अधिकार को प्रभावी ढंग से लागू करने की भी अपील की गई। कलेक्ट्रेट परिसर में हुए इस विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रमोद उपाध्याय, महेश चंद पाठक, कौशल सारस्वत, सुषमा शर्मा, गजेंद्र पाण्डेय, दिव्य चतुर्वेदी, शिव स्वरूप सहित बड़ी संख्या में महासभा के पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित रहे। संगठन ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।
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