फर्रुखाबाद के कमालगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत भोजपुर चिल्लाहगाह में हजरत शेख मखदूम बुर्राक शाह लंगर रहमतुल्लाह अलैह का 701वां उर्स-ए-मखदूम मंगलवार को संपन्न हो गया। इस अवसर पर महफिले मिलाद और महफिले समा का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में अकीदतमंद उमड़े और कुल शरीफ में देश की खुशहाली के लिए दुआएं की गईं। उर्स के दौरान हजरत शेख मखदूम की जिंदगी, करामात और संदेश पर प्रकाश डाला गया। उर्स की शुरुआत मंगलवार को नमाज फजिर के बाद कुरान ख्वानी से हुई। नमाज जोहर के बाद महफिले समा का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से आए शायरों ने हजरत शेख मखदूम की शान में कलाम पेश किए। इन कलामों में एकता और भाईचारे का संदेश भी दिया गया। सज्जादानशीन हजरत अजीजुल हक गालिब मियां ने गुसल-ए-पाक की रस्म अदा की। कफन पोशी के दौरान हाजी लतीफ ने 701 वर्ष पुरानी दफ बजाई और कुतुब बख्तियार काकी रहमतुल्लाह अलैह की रुबाई पढ़ी। इस दौरान सज्जादानशीन पर बज्द (बेहोशी) तारी हो गया। तुरंत उनके शरीर से कफन उतारा गया और मौलानाओं ने कलमा शरीफ पढ़ना शुरू किया। कुछ देर बाद सज्जादानशीन होश में आए और उन्होंने पूरे आलम के लिए अमनो-अमान और खुशहाली की दुआएं कीं, जिसके बाद कुल शरीफ संपन्न हुआ।
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