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भुना चना कपड़ा, चमड़ा रंगने वाले औरामाइन से रंग रहे:खाद्य सुरक्षा विभाग ने 30 टन पकड़ा; लीवर, किडनी करता है खराब

मुनाफाखोरी के चक्कर में मिलावटखोर अब भुना चना को भी नहीं छोड़ रहे। गोरखपुर में खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने सोमवार की शाम छापा मारकर हानिकारक केमिकल से रंगा गया 30 टन भुना चना पकड़ा है। बाजार में इसकी कीमत 18 लाख रुपये से अधिक है। इसे रंगने के लिए औद्योगिक इकाइयों में कपड़ा व चमड़ा रंगने के लिए प्रयोग किए जाने वाले औरामाइन ओ केमिकल का उपयोग किया गया है। इससे लीवर व किडनी खराब हो सकती है। डीएनए में परिवर्तन से कैंसर का भी खतरा इससे है।
खाद्य सुरक्षा विभाग को पिछले कुछ दिनों से इस तरह के मिलावटी चने के गोरखपुर आने की सूचना मिल रही थी। जिसके बाद टीम ने राजघाट थाना क्षेत्र के लालडिग्गी में मेसर्स मां तारा ट्रेडर्स पर छापा मारकर 750 बोरों में रखा भुना चना पकड़ा। इसमें से 400 बोरी चना मध्य प्रदेश से जबकि 350 बोरी छत्तीसगढ़ से मंगाया गया है। विभाग ने शुरू की कार्रवाई
इस छापेमारी के बाद चना मंगाने वाली गोरखपुर की फर्म मेसर्स मां तारा ट्रेडर्स साहबगंज गीता प्रेस, मध्य प्रदेश के इंडस्ट्रियल एरिया कटनी के श्रीराम दाल इंडस्ट्रीज व छत्तीसगढ़ के एसवीजी पल्सेज बलूटा बाजार के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। वहां के खाद्य सुरक्षा विभागों को भी पत्र लिखा जाएगा। मोबाइल वैन में की जांच, मिलावट की पुष्टि हुई खाद्य सुरक्षा विभाग के सहायक आयुक्त डा. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि कई दिनों से बाजार में भुना चना बिकने की सूचना मिल रही थी। इसी क्रम में टीम के सदस्यों को लगाया गया था। कई दिनों तक रेकी करने के बाद मेसर्स मां तारा ट्रेडर्स में भुना चना आने की पुष्टि हुई, जिसके बाद छापा मारा गया। चना का नमूना लेकर अत्याधुनिक मोबाइल लैब फूड सेफ्टी आन व्हील्स में जांच की गई। चने में औरामाइन केमिकल मिलाने की पुष्टि हुई है। यह प्रतिबंधित और जहरीला रसायन है। 375 बोरी चना बिक चुका है श्रीराम दला इंडस्ट्रीज एरिया कटनी से 10 दिसंबर को मेसर्स मां तारा ट्रेडर्स के लिए 775 बोरों में भुना चना भेजना गया था। एक बोरी में 40 किलो चना है। सोमवार को जब खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने छापा मारा तो इस फर्म से मंगाया गया केवल 400 बोरी चना ही बरामद हुआ। माना जा रहा है कि 375 बोरी चना बेचा जा चुका है। एक किलो चना 58 रुपये में खरीदा गया है। अब विभाग यह विवरण जुटाने में लगा है कि यह चना कहां बेचा गया है। पहले भी फेल हो चुका है नमूना
भुने चने का नमूना पहले भी फेल हो चुका है। राप्तीनगर स्थित एक मार्ट से पिछले वर्ष भुना चना का नमूना लिया गया था। चने पर पीलापन अधिक होने के कारण शक हुआ था। जब रिपोर्ट आयी तो यह पता चला कि इसमें औरामाइन लगाया गया है। यह खाद्य पदार्थ असुरक्षित श्रेणी में होने के कारण व्यापारी पर कार्रवाई की गई थी। अंतरराज्यीय है नेटवर्क
अधिकारियों का कहना है कि भुना चना बेचने के लिए अंतरराज्यीय नेटवर्क काम कर रहा है। नेटवर्क के सदस्य हवाला के जरिये रुपये का भुगतान करते हैं। विभाग अब इस सप्लाई चेन की भी जांच कर रहा है। गोरखपुर आने के बाद इस चने को कहां-कहां भेजा जाता है, इसका भी पता लगाया जा रहा है। FSSAI ने दिया है जांच करने का निर्देश भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने 30 नवंबर को पत्र जारी कर भुने चने की जांच करने और जब्त करने का निर्देश दिया है। FSSAI के इस पत्र में बताया गया है कि कपड़े और चमड़े को रंगने में उपयोग किए जाने वाले केमिकल औरामाइन से भुना चना व कुछ अन्य खाद्य पदार्थ रंगने की शिकायतें आ रही हैं। विभाग ने इसको लेकर अभियान चलाने और छापेमारी करने का निर्देश दिया है। जिसके बाद से खाद्य सुरिक्षा विभाग नजर रख रहा है। अब जानिए स्वास्थ्य को क्या हो सकता है नुकसान खाद्य पदार्थों में औरामाइन मिलाकर खाने से दीर्घकालीन और गंभीर नुक़सान हो सकते हैं।
हल्दी, केसर जैसा रंग दिखाने या मिठाइयां, नमकीन, भुना चना आदि को और ज्यादा चमकीला बनाने के लिए कुछ जगहों पर यह सस्ता इंडस्ट्रियल डाई मिलाया जाता है। जो साफ‑साफ मिलावट और फूड फ्रॉड है।​
थोड़ी‑थोड़ी मात्रा भी अगर लंबे समय तक इसे खाया जाए तो लीवर, किडनी और पाचन तंत्र पर लगातार ज़हर जैसा असर होगा। शरीर की कोशिकाओं के DNA में बदलाव से कैंसर का जोखिम है। बच्चों में दिमागी विकास और व्यवहार पर नकारात्मक असर जैसी समस्याओं की आशंका बढ़ती है।​ क्या सावधानी बरतें बहुत चटख, अप्राकृतिक पीला या नींबू जैसा रंग लिए हुए सस्ते मिष्ठान, नमकीन, भुना चना, चमकीले चने या स्ट्रीट‑फूड से सावधान रहें। यह जरूर देखें कि रसीद/ब्रांडिंग पर FSSAI लाइसेंस हो।
अगर किसी खास मिठाई, चने या स्नैक में अत्यधिक तेज पीला रंग या गंध संदिग्ध लगे तो उसे न खाएं और स्थानीय खाद्य सुरक्षा विभाग को शिकायत करें।​ आगे भी जारी रहेगी कार्रवाई
सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा डा. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि मिलावटखोरों के खिलाफ विभाग की जीरो टालरेंस नीति है। भुने चने को और चमकीला बनाने के लिए इस तरह के हानिकारक केमिकल का उपयोग किया जा रहा है। विशेष सूचना तंत्र को सक्रिय कर दिया गया है और आगे भी ऐसी कठोर कार्रवाई जारी रहेगी।


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