कृष्णानगर स्थित सुमतिनाथ सेवा भवन में भारत विकास परिषद, अवध प्रांत द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर आयोजित पाँच दिवसीय पंचसूत्रीय कथा महोत्सव के दूसरे दिन शनिवार को ‘स्वदेशी’ विषय पर विशेष कथा और परिचर्चा हुई। मुख्य कथावाचक सुधीरानंद महाराज ने स्वदेशी को राष्ट्र-निर्माण का आधार बताया। महाराज सुधीरानंद ने कहा कि स्वदेशी केवल एक आर्थिक नीति नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति में अपनी मिट्टी, अपने कौशल और अपने उत्पादों को सम्मान देने का प्रतीक है। उन्होंने जोर दिया कि जीवन-शैली में स्वदेशी को अपनाकर ही आर्थिक स्वतंत्रता के साथ सांस्कृतिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। कारीगरों को सशक्त बनाने से ही राष्ट्र आत्मनिर्भर बनेगा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद संजय सेठ ने आधुनिक उपभोक्तावाद के दौर में स्वदेशी अपनाने को समय की बड़ी मांग बताया। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने और कारीगरों को सशक्त बनाने से ही राष्ट्र आत्मनिर्भर बनेगा। सांसद सेठ ने स्वदेशी आंदोलन को आर्थिक राष्ट्रवाद का महत्वपूर्ण आधार भी बताया। भारत विकास परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री विक्रांत खंडेलवाल ने कहा कि इतिहास में हुए विदेशी आक्रमणों और शासन ने समाज में कई विकृतियां पैदा की हैं। उन्होंने आत्मगौरव जगाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि हमें यह जानना होगा कि हमारा अपना क्या है।खंडेलवाल ने आगे कहा कि जो भारत में जन्मा है, भारत माता से प्रेम करता है, सनातन परंपरा और पूर्वजों का सम्मान करता है, तथा स्वयं को श्रीकृष्ण की परंपरा से जुड़ा महसूस करता है, वही सच्चा हिंदू है। पंच सूत्रों के माध्यम से समाज में जागरूकता का विस्तार उन्होंने बताया कि परिषद पर्यावरण, स्वदेशी, समरसता, परिवार प्रबोधन और नागरिक कर्तव्य जैसे पंचसूत्रों के माध्यम से समाज में जागरूकता का विस्तार कर रही है।दूसरे दिन के मुख्य यजमान प्रयागराज मेजा से आए इंद्र देव शुक्ला को सम्मानित किया गया।इस अवसर पर प्रांतीय महासचिव शशिकांत सक्सेना, शाखा सचिव रवि चटर्जी, आयोजन समिति अध्यक्ष रामोतर और महासचिव आर.के भदौरिया सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों का सम्मान किया गया और महाप्रसाद वितरित किया गया।
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