राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में भारत विकास परिषद, अवध प्रांत ने शुक्रवार से ‘पंच सूत्रीय कथा महोत्सव’ का शुभारंभ किया। सिंधु नगर स्थित सुमतिनाथ सेवा भवन में आयोजित यह पाँच दिवसीय कार्यक्रम समाज की सकारात्मक दिशा, संस्कार और कर्तव्यबोध पर केंद्रित है। परिषद ने इस आयोजन को केवल धार्मिक कथा नहीं, बल्कि समाज-निर्माण के पाँच स्तंभों—पर्यावरण, स्वदेशी, समरसता, परिवार प्रबोधन और नागरिक कर्तव्य—पर आधारित जन-जागरण अभियान बताया है। इसका उद्देश्य इन महत्वपूर्ण विषयों पर समाज में जागरूकता लाना है। कथावाचक ने प्रकृति के महत्व पर प्रभावी प्रवचन दिया कार्यक्रम का पहला दिन पर्यावरण संरक्षण को समर्पित था। कथावाचक पं. अशोक महाराज ने प्रकृति के महत्व पर प्रभावी प्रवचन दिया। उन्होंने कहा कि धरती, जल, वायु और पेड़-पौधे केवल संसाधन नहीं, बल्कि जीवन का आधार हैं और इन्हें बचाना पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। महाराज ने भारतीय संस्कृति में प्रकृति को देवत्व का दर्जा दिए जाने की परंपरा का स्मरण कराया और संतुलित विकास मॉडल की आवश्यकता पर बल दिया। परिषद के पदाधिकारियों ने बताया कि संगठन वर्षों से वृक्षारोपण, जल संरक्षण, स्वच्छता और प्लास्टिक मुक्त वातावरण के लिए अभियान चला रहा है, और यह कथा इन प्रयासों को जन-आंदोलन का रूप देने का माध्यम है। पर्यावरण संरक्षण को समर्पित विशेष यज्ञ का आयोजन कथा के समापन के बाद पर्यावरण संरक्षण को समर्पित एक विशेष यज्ञ का आयोजन किया गया। इसके उपरांत उन समाजसेवियों को सम्मानित किया गया जो प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे हैं। कार्यक्रम के अंत में महाप्रसाद का वितरण हुआ, जिसमें विभिन्न वर्गों के लोगों ने एक साथ प्रसाद ग्रहण कर एकता और समरसता का संदेश दिया। ये लोग शामिल हुए महोत्सव के उद्घाटन सत्र में सरोजनी नगर के विधायक राजेश्वर सिंह, आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख सुभाष, प्रांत प्रचारक प्रमुख यशोदानंदन और संगठन मंत्री विक्रांत खंडेलवाल उपस्थित रहे। परिषद के महासचिव एस.के. सक्सेना, आर.के. भदौरिया, राम औतार तथा मुख्य यजमान बीरेन्द्र सिंह चौधरी भी इस अवसर पर मौजूद थे। अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया और इसे समाजहित में महत्वपूर्ण पहल बताया।
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