यूपी में भाजपा के ब्राह्मण विधायकों की बंद कमरे में बैठक का मुद्दा तूल पकड़ रहा है। शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी पर निशाना साधा। साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ पर भी तंज कसा है। अखिलेश ने X पर लिखा- अपनों की महफ़िल सजे तो जनाब मेहरबान और दूसरों को भेज रहे चेतावनी का फ़रमान। अखिलेश का साफ इशारा यूपी विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान बने ठाकुर विधायकों के कुटुंब से है। उस वक्त विधायक ठाकुर रामवीर सिंह ने बैठक की थी। जिसमें भाजपा और सपा के बागी ब्राह्मण विधायक शामिल हुए थे। हालांकि उस समय तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी। इस बार ब्राह्मण विधायकों की बैठक पर नव निर्वाचित अध्यक्ष पंकज चौधरी भड़क उठे। उन्होंने ब्राह्मण कुटुंब बनाने और बैठक में शामिल सभी ब्राह्मण विधायकों की क्लास लगाई। पंकज चौधरी ने भाजपा विधायकों को सलाह देते हुए कहा था- किसी तरह की नकारात्मक राजनीति का शिकार न बनें। भाजपा सिद्धांतों और आदर्शों वाली पार्टी है। इस तरह का कोई भी काम पार्टी के संविधान और आदर्शों के अनुकूल नहीं है। चौधरी ने कहा- भविष्य में अगर भाजपा के किसी जनप्रतिनिधि ने इस तरह की गतिविधि को दोहराया तो इसे अनुशासनहीनता माना जाएगा। अखिलेश ने अपनी दूसरी X पोस्ट में लिखा- जो कह रहे हैं, हमारा काम करने का फॉर्मूला है: “सज्जन को सुरक्षा, दुर्जन को ठिकाने” सही मायनों में वो कह रहे हैं, ‘स्वजन को सुरक्षा, दुर्जन को बचाने’ का फॉर्मूला ही हमारा असली फॉर्मूला है। अखिलेश की दोनों X पोस्ट पढ़िए… यूपी कांग्रेस ने कहा- भाजपा विधायकों को मजबूत रख अपनाना चाहिए
भाजपा ब्राह्मण विधायकों की बैठक पर यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा- जिस प्रकार (भाजपा) प्रदेश अध्यक्ष के द्वारा इनका अपमान किया गया। बाकी जातियों की बैठक हुई उसपर किसी कार्रवाई की बात नहीं की गई। लेकिन ब्राह्मण समाज को विशेष रूप से टारगेट करके कार्रवाई की बात हो रही है। निश्चित तौर पर इसपर इन लोगों को मजबूत रुख अपनाना चाहिए। कांग्रेस पार्टी के लोग अन्याय के खिलाफ उनका समर्थन करेंगे। अब पंकज चौधरी की पूरी बात पढ़िए… ब्राह्मण विधायकों को दो टूक- अलर्ट रहिए
प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी ने कहा- विधानसभा सत्र के दौरान कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा विशेष भोज का आयोजन किया गया था। जिसमें अपने समाज को लेकर चर्चा की गई। हमनें विधायकों के साथ बातचीत की है। सभी को स्पष्ट कहा है कि ऐसी कोई भी गतिविधि भाजपा की संवैधानिक परंपराओं के अनुकूल नहीं है। विधायकों से भविष्य में अलर्ट रहने को कहा है। बैठक में शामिल सभी जनप्रतिनिधियों से कहा है कि इस तरह गतिविधियों से समाज में गलत मैसेज जाता है। भविष्य में अगर भाजपा के किसी जनप्रतिनिधि ने इस तरह की गतिविधियों को दोहराया, तब यह अनुशासनहीनता मानी जाएगी। सपा-बसपा और कांग्रेस का उदाहरण दिया अब जानिए कहां और क्यों हुई थी बैठक… 50 ब्राह्मण विधायक एक साथ आए, शिवपाल ने दिया बड़ा ऑफर
तारीख 23 दिसंबर। वक्त शाम का था। विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के बीच कुशीनगर के भाजपा विधायक पीएन पाठक (पंचानंद पाठक) की पत्नी के जन्मदिन के नाम पर उनके लखनऊ आवास पर बैठक हुई। इसमें पूर्वांचल और बुंदेलखंड के 45 से 50 ब्राह्मण विधायक शामिल हुए। विधायकों को लिट्टी-चोखा और मंगलवार व्रत का फलाहार परोसा गया। खास बात है कि बैठक में अन्य पार्टियों के भी ब्राह्मण विधायक पहुंचे थे। मीटिंग के बाद सरकार में हलचल मच गई। सूत्रों के मुताबिक, सीएम के OSD सरवन बघेल ने बीजेपी विधायक पीएन पाठक को कॉल कर मामले की जानकारी ली। पाठक ने उन्हें बताया कि कोई राजनीतिक बैठक नहीं थी। मैंने सहभोज रखा था। बताया गया कि आरएसएस और भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी भी इस मामले को शांत कराने में जुट गए थे। इस बीच, शिवपाल यादव ने कहा- भाजपा के लोग जाति में बांटते हैं। बीजेपी से नाराज ब्राह्मण विधायक सपा में आ जाएं। पूरा सम्मान मिलेगा। यूपी विधानसभा में इस समय 52 ब्राह्मण विधायक हैं, इनमें 46 भाजपा के हैं। विधानमंडल के मानसून सत्र में ठाकुर समाज के विधायकों ने कुटुंब परिवार के नाम पर बैठक कर तेवर दिखाए थे। अब ब्राह्मण विधायकों की बैठक ने भाजपा और योगी सरकार की चुनौती बढ़ा दी।
जरूरत क्यों पड़ी बैठक की?
सूत्रों का कहना है, बैठक में कहा गया कि अलग-अलग जाति के खांचों में कई जातियां तो पॉवरफुल हो गईं, लेकिन ब्राह्मण पिछड़ गए हैं। जाति की राजनीति में ब्राह्मणों की आवाज दबती जा रही है। उन्हें अनसुना कर दिया गया। ब्राह्मणों के मुद्दों को उठाने जोर-शोर से उठाने के लिए यह जुटान हुई है। इन विधायकों का मानना है कि उनके समाज से डिप्टी सीएम तो हैं, लेकिन उनको ताकत नहीं दी गई। मीटिंग में कौन-कौन ब्राह्मण नेता पहुंचा था, जानिए प्रमुख मुद्दे जिन पर चर्चा की गई… 1-संघ, सरकार और भाजपा में सुनवाई नहीं
ब्राह्मण विधायकों की बैठक में चर्चा हुई कि समाज के लोगों की आरएसएस, भाजपा और सरकार में कोई सुनने वाला नहीं है। संघ, भाजपा और संगठन में ब्राह्मण समाज का ऐसा कोई बड़ा या जिम्मेदार पदाधिकारी नहीं है, जिसके पास जाकर समाज के लोग अपनी बात रख सकें। समाज के विधायकों, सांसदों और नेताओं की समस्या सुनने वाला कोई नहीं है। एक जाति विशेष के लोगों को खास तवज्जो दी जाती है, उस जाति के लोगों ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने का काम किया था। जबकि ब्राह्मणों की आबादी उनसे ज्यादा है और समाज हमेशा भाजपा के साथ रहा है। बैठक में यह भी चर्चा हुई कि संगठन और सरकार में लगातार ब्राह्मणों की कद घटाया जा रहा है। बीजेपी में भी ब्राह्मण पदाधिकारियों की संख्या कम की गई है। 2- डिप्टी सीएम को ताकत नहीं
बैठक में मौजूद ब्राह्मण विधायकों का मानना था कि पार्टी ने समाज के विधायक ब्रजेश पाठक को डिप्टी सीएम बनाया है। लेकिन सरकार ने उन्हें ताकत नहीं दी है। 3- सुनील भराला नामांकन दाखिल नहीं हो सका था
भाजपा के ब्राह्मण नेता सुनील भराला भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में नामांकन दाखिल करने पहुंच गए थे। उनके पास पर्याप्त संख्या में ब्राह्मण और अन्य जातियों के प्रस्तावक भी थे। जानकारों का मानना है कि भराला ने ब्राह्मण समाज को मौका नहीं मिलने से नाराज होने के बाद ही नामांकन दाखिल करने का निर्णय किया था। पार्टी के कई ब्राह्मण नेताओं ने उन्हें समर्थन भी दिया था। लेकिन एन वक्त पर पार्टी नेतृत्व के दखल के कारण उन्होंने नामांकन दाखिल नहीं किया। जनवरी में फिर होगी ब्राह्मण विधायकों की बैठक
ब्राह्मणों की एकजुटता के लिए समाज के विधायकों की बैठक जनवरी में एक बार फिर आहूत होगी। अगली बैठक में समाज के राजनीतिक और सामाजिक हित के लिए दिशा तय की जाएगी। क्यों ब्राह्मण विधायकों ने बैठक करने का लिया निर्णय 1-ब्राह्मणों में बढ़ रही है भाजपा से नाराजगी
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं- ब्राह्मणों में भाजपा से नाराजगी और असंतोष बढ़ता जा रहा है। ब्राह्मण समाज भाजपा का परंपरागत वोट बैंक रहा है। जब यूपी में भाजपा तीसरे चौथे नंबर की पार्टी थी, तब भी समाज का अधिकांश वोट भाजपा को मिलता था। लेकिन बीते कुछ वर्षों से समाज उपेक्षित महसूस कर रहा है। समाज के विधायक भी संगठन और सरकार में उनकी सुनवाई नहीं होने की शिकायतें करते रहे हैं। 2- इटावा कांड के बाद ज्यादा मुखर
ब्राह्मणों में इटावा कथावाचक चोटी कांड के बाद गुस्सा और बढ़ा है। सूबे में ब्राह्मण बनाम यादव संघर्ष ने जोर पकड़ा तो कोई ब्राह्मण नेता वहां नहीं पहुंचा। जबकि अखिलेश यादव ने कथावाचक और उनके सहयोगी को लखनऊ बुलाकर सम्मानित किया था। सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ कैंपेनिंग भी हुई। ब्राह्मण एकता नाम के फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट लिखी गई। जिसमें कहा गया है कि यूपी के 51 ब्राह्मण विधायकों पर थू है, कोई भी विधायक इटावा में ब्राह्मण समाज के लिए खड़ा नहीं हुआ। वहीं, परशुराम सेना संघ ने आरोप लगाया कि ब्राह्मणों को सभी पार्टियां कमजोर करने में जुटी हुई हैं। 2027 में सभी को सबक सिखाया जाएगा। ब्राह्मण विधायकों की बैठक में जिन मुद्दों पर हुई चर्चा अगली बैठक कब होगी? भाजपा के ब्राह्मण विधायकों की अगली बैठक 5 जनवरी को फिर लखनऊ में होगी। इस बार पूर्व विधायक, पूर्व सांसद के अलावा रिटायर्ड अफसरों को शामिल किया जाएगा। इनमें रिटायर्ड IAS, IPS, PPS, PCS अधिकारी और रिटायर्ड जज भी बुलाए जाएंगे। बैठक में बीजेपी सरकार की ओर से राजनीतिक नियुक्तियों में ब्राह्मण समाज के लोगों को महत्व नहीं देने का मुद्दा भी उठाया जाएगा। लखनऊ में प्रदेश स्तरीय बैठकों के बाद फिर ब्राह्मण विधायक जिला स्तर पर भी बैठक करेंगे। इनमें जिले में पंचायत और नगरीय निकाय के जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। ब्राह्मण समाज के लोगों को विधान परिषद, सहकारी समितियों और राजनीतिक नियुक्तियों में पर्याप्त जगह नहीं दी गई है, जबकि एक समाज विशेष के लोग बड़ी संख्या में समायोजित किए गए हैं। ब्राह्मण वोट बैंक यूपी के हर जिले में 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 89 फीसदी वोट मिले
भाजपा को 2022 यूपी चुनाव में 89% ब्राह्मणों ने दिए वोट दिए थे। ब्राह्मण सियासत के जानकार कहते हैं- ब्राह्मण वोकल होता है और अपने आसपास के दस वोटरों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए सभी पार्टियां ब्राह्मणों के ताकत को समझती हैं। भले ही ब्राह्मणों की संख्या यूपी में 11-12 प्रतिशत हो, लेकिन दमदारी से अपनी बात रखने की वजह से वह जहां भी रहे हैं, प्रभावशाली रहते हैं। यही वजह है कि आजादी के बाद से 1989 तक यूपी को छह ब्राह्मण मुख्यमंत्री मिले। 2007 में ब्राह्मण दलित गठजोड़ से ही बसपा पूर्ण बहुमत में सत्ता में आ पाई थी। उस वक्त बीएसपी प्रमुख मायावती ने ब्राह्मण और दलित की सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला बनाया था। 80 से 90 फीसदी तक ब्राह्मण बसपा के साथ जुड़ गए थे। दलितों की पार्टी कही जाने वाली बसपा में सतीश चंद्र मिश्रा को दूसरे नंबर का दर्जा दे दिया गया। आरोप लगते हैं कि 2009 में बीएसपी सरकार में तमाम लोगों पर एससी-एसटी के मुकदमे दर्ज हुए, जिनमें ब्राह्मण नाराज हो गए और वह 2012 के विधानसभा चुनावों में एसपी प्रमुख अखिलेश यादव के साथ आ गए। 2017 में उन्होंने बीजेपी का साथ दिया और उनकी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में मदद की। विधानसभा में बीजेपी के 46 ब्राह्मण विधायक जीतकर पहुंचे। आखिर में बात ठाकुर कुटुंब की… तारीख 11 अगस्त
जगह- लखनऊ
यूपी विधानमंडल का मानसून सत्र का पहला दिन था। सुबह विपक्ष ने प्रदर्शन किया तो सत्ता पक्ष ने पलटवार, लेकिन शाम ढलते ही लखनऊ के फाइव स्टार होटल में भाजपा के क्षत्रिय विधायकों की बैठक हुई। इसमें सपा के बागी विधायक भी शामिल हुए। किसी ने इसे बर्थडे पार्टी बताया तो किसी ने कहा- यह ठाकुर रामवीर की जीत का जश्न है। बहरहाल, होटल क्लार्क अवध में हुई बैठक को ‘कुटुंब परिवार’ नाम दिया गया। इसमें यूपी में कुल 49 ठाकुर विधायकों में से करीब 40 विधायक शामिल हुए थे। एमएलसी जयपाल सिंह व्यस्त और मुरादाबाद से विधायक ठाकुर रामवीर सिंह की तरफ से बैठक में भाजपा और सपा के क्षत्रिय विधायकों को आमंत्रित किया गया था। दूसरी जातियों के विधायक भी बुलाए गए थे। मगर, उनकी मौजूदगी कम थी। उनमें भी ऐसे विधायक शामिल थे, जो भाजपा सरकार खेमे के करीबी हैं। पढ़ें पूरी खबर… ————– यह खबर भी पढ़िए… मोदी ने योगी के लिए 2027 की स्क्रिप्ट लिखी:दोनों नेता गुफ्तगू करते दिखे, PM ने सोशल इंजीनियरिंग को धार दी पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लखनऊ के प्रेरणा स्थल से भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग को नई धार दी। उन्होंने मंच से भगवान बिरसा मुंडा, बिजली पासी, राजा सुहेलदेव, राजा महेंद्र प्रताप सिंह, प्रभु राम के सखा निषादराज का जिक्र कर करीने से इनके वोट बैंक को भी साधा। इसी के साथ सरदार वल्लभ भाई पटेल और अम्बेडकर को इतिहास में उचित स्थान न दिए जाने पर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया। परिवारवाद का जिक्र कर उन्होंने कांग्रेस, सपा सहित विपक्षी दलों पर कटाक्ष किया। मंच पर जिस तरीके से सीएम योगी के साथ वे गुफ्तगू करते नजर आए, इससे साफ है कि 2027 की चुनावी स्क्रिप्ट में योगी की बड़ी भूमिका रहेगी। पढ़ें पूरी खबर…
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