जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के जन्मोत्सव पर काशी में भव्य शोभायात्रा श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ निकाली गई। इस ऐतिहासिक शोभायात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल रहीं। पूरा वातावरण जयकारों, भजनों और मंगल धुनों से भक्तिमय हो उठा। 5 जगहों पर हुई विशेष आरती भगवान पार्श्वनाथ को चांदी के भव्य हाथी रथ पर विराजमान किया गया था। शोभायात्रा जहां-जहां से गुजरी, वहां श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर प्रभु का स्वागत किया और जगह-जगह आरती उतारी। भक्त भगवान के भजन गाते हुए चल रहे थे, वहीं शहनाई की मधुर मंगल धुनों ने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन की ओर से जगह-जगह पुलिस बल तैनात रहा। वाराणसी में निकली 3 किलोमीटर लंबी यात्रा यह भव्य शोभायात्रा ग्वाल दास साहू लेन स्थित पंचायती दिगंबर जैन मंदिर से प्रारंभ होकर चौक, बांसफाटक, गदौलिया, सोनारपुर, जंगमबाड़ी सहित प्रमुख मार्गों से होते हुए भेलूपुर स्थित भगवान पार्श्वनाथ की जन्मस्थली पहुंचकर संपन्न हुई। मार्ग के दोनों ओर खड़े श्रद्धालु प्रभु के दर्शन कर स्वयं को धन्य महसूस करते नजर आए। रथ पर किया गया पुष्प वर्षा शोभायात्रा की जानकारी देते हुए दिगंबर जैन समाज काशी के उपाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक राकेश जैन ने बताया कि भगवान पार्श्वनाथ के जन्मोत्सव के अवसर पर प्रभु नगर भ्रमण पर निकले। इस दौरान बैंड-बाजे, हाथी-घोड़े तथा अत्यंत कीमती साज-सामान के साथ भव्य सवारी निकाली गई। उन्होंने कहा कि शोभायात्रा जिस भी मार्ग से गुजरी, वहां श्रद्धालुओं ने आरती उतारकर और पुष्प वर्षा कर प्रभु का स्वागत किया। भेलूपुर स्थित भगवान पार्श्वनाथ की जन्मस्थली पहुंचने के बाद 108 स्वर्ण-रजत कलशों से भगवान का विधिवत पूजन-अभिषेक किया गया। इस दौरान श्रद्धालु पूरी तरह श्रद्धा भाव से सराबोर नजर आए और वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण हो गया।
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