भगवतीगंज में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव का दूसरा दिन था। कथावाचक राघवाचार्य जी महाराज ने अपने प्रवचनों में माता-पिता की महिमा का वर्णन किया। उन्होंने धुंधकारी प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि माता-पिता धरती पर साक्षात ईश्वर का रूप हैं। महाराज ने बताया कि संसार में माता-पिता ही प्रत्यक्ष देवता हैं और उनकी सेवा से बढ़कर कोई पुण्य नहीं है। उनके अनुसार, मंदिर न जाने या भजन-कीर्तन न करने पर भी जीवन चल सकता है, लेकिन माता-पिता की सेवा के बिना सभी धार्मिक कर्म अधूरे माने जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जो संतान अपने माता-पिता को कष्ट देती है, उसे जीवन में वास्तविक सुख नहीं मिलता। राघवाचार्य जी महाराज ने प्रवचनों में कहा कि मनुष्य से गलती होना सामान्य है, लेकिन समय रहते सुधार और प्रायश्चित आवश्यक है, अन्यथा वही गलती पाप बन जाती है। उन्होंने श्रीमद्भागवत को केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का सार बताया, जो प्रेम, करुणा, संयम और सत्य का संदेश देता है। राजा परीक्षित और ऋषि के श्राप प्रसंगों के माध्यम से उन्होंने भक्ति को जीवन की सर्वोत्तम साधना बताया, जो दुखों से मुक्ति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है। कार्यक्रम में भाजपा क्षेत्रीय उपाध्यक्ष व जिला प्रभारी राहुल राज रस्तोगी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। समाजसेवी संजय मिश्रा और आनन्य गौरव मिश्रा ने मुख्य अतिथि का स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया। मुख्य यजमान सत्यवती मिश्रा और राजेंद्र मिश्रा ने विधिवत पूजा-अर्चना कर भगवान श्रीकृष्ण की आरती की। कथा स्थल पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। भजनों की मधुर धुनें वातावरण को भक्तिमय बनाए हुए थीं। आयोजन समिति ने बताया कि कथा प्रतिदिन निर्धारित समय पर जारी रहेगी और श्रद्धालुओं से अधिक संख्या में उपस्थित होने की अपील की गई है।
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