संविधान दिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्थान और कबीर फेस्टिवल ने एकल नाटक ‘बेशरम का पौधा’ का सफल मंचन आयोजित किया। कार्यक्रम का शुभारंभ बौद्ध संस्थान के राकेश, प्रो. सदानंद शाही और अन्य गणमान्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर किया। बनारस से आए प्रो. सदानंद शाही ने बुद्ध के दर्शन, समानता, संविधान और नाटक के महत्व पर उद्घाटन संबोधन दिया। उन्होंने बताया कि यह प्रस्तुति स्वतंत्रता, गरिमा और पहचान जैसे संवैधानिक मूल्यों पर समाज को विचार करने के लिए प्रेरित करती है। उद्घाटन के बाद एक संवाद सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न विषयों पर गहन चर्चा हुई। ग्रामीण व शहरी जीवन के अनुभवों से प्रेरित यह एकल नाटक कलाकार और लेखक राजेश निर्मल द्वारा प्रस्तुत किया गया। राजेश नई दिल्ली के एक कलाकार, लेखक और निर्देशक हैं, जिनका थिएटर कार्य सामाजिक-राजनीतिक वास्तविकताओं तथा ग्रामीण व शहरी जीवन के अनुभवों से प्रेरित है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातक और हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से थिएटर डिज़ाइन व निर्देशन में पोस्टग्रेजुएट डिग्री प्राप्त की है। उनके कई नाटकों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिल चुका है, जिनमें कोरियन कल्चर सेंटर का नेशनल प्लेराइट अवॉर्ड और संजय घोष मीडिया अवॉर्ड प्रमुख हैं। जाति-आधारित समाज व्यवस्था को मंच पर उतारा ‘बेशरम का पौधा’ वास्तविक जीवन की घटनाओं पर आधारित एक एकल प्रस्तुति है। यह नाटक कलाकार के गाँव से शहर तक के जीवन अनुभवों और जाति-आधारित समाज व्यवस्था की जटिलताओं को मंच पर दर्शाता है। राजेश निर्मल ने अपने जीवन को उस ‘बेशरम पौधे’ की तरह प्रस्तुत किया है, जिसे बार-बार उखाड़ा गया, लेकिन वह अपनी पहचान और सत्य को बनाए रखते हैं। यह नाटक जाति-आधारित संघर्षों को सामने लाता है और दर्शकों से सवाल करता है कि “हमारे जीवन में जाति क्या भूमिका निभाती है?” ये लोग शामिल हुए इस अवसर पर विरेंद्र यादव, राकेश, सुभाष कुशवाहा, अंकिता, पूनम ठाकुर, राकेश वेदा, अतुल हुंडू, हाफिज किदवई, डॉ. प्राभा, आनंद वर्धन, सूर्य मोहन, उपमा चतुर्वेदी, नागेंद्र और नैश हसन सहित कई प्रमुख अतिथि उपस्थित रहे।
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