प्रयागराज में रिटायर दीवान से बेटे की नौकरी के नाम पर 14 लाख के फ्रॉड का मामला सामने आया। आरोपियों ने कैश और ऑनलाइन रुपए ले लिए और बेटे को 2 फर्जी नियुक्ति पत्र थमा दिया। जब युवक ज्वाइन करने पहुंचा तो उसे ठगी का पता चला। अब दो युवकों पर सिविल लाइंस थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। फाफामऊ के रहने वाले देवकी नंदन त्रिपाठी रिटायर दीवान हैं। उन्होंने बताया- मिर्जापुर में नियुक्ति के दौरान मेरी मुलाकात मो. जमाल अख्तर से हुई जो मिर्जापुर का ही रहने वाला है। वहीं पर नैनी के रहने वाले कौशलेश शर्मा से भी मुलाकात हुई। ये दोनों अक्सर पुलिस कार्यालय आते रहते थे। मैं उन दिनों सीओ नगर की पेशी में नियुक्त था। इन दोनों ने कहा कि कोई कैंडिडेट टीजीटी का हो तो उसे हम पास कराकर नियुक्ति पत्र दिला देंगे। शिक्षा विभाग में एक वरिष्ठ अधिकारी से हमारी जान-पहचान है। शिकायत करने वाले ने कहा- जून 2021 में रिटायर होने के बाद मैंने कौशलेश से मोबाइल पर सम्पर्क किया और बताया कि मेरा लड़का रोहित कुमार त्रिपाठी टीजीटी परीक्षा में सम्मिलित होना चाहता है। उसने प्रयागराज के प्रधान डाकघर के पास बुलाया जहां कौशलेश के साथ जमाल भी मिला। दोनों ने बताया कि 14 लाख रुपए लगेंगे और आपके बेटे को परीक्षा पास कराकर नियुक्ति पत्र दे दिया जाएगा। आरटीजीएस, नकद और यूपीआई के जरिए लेनदेन
एक हफ्ते बाद कौशलेश ने फोन कर एडीए स्थित अपने मकान पर बुलाया। वहां जमाल और उसकी पत्नी बानो साजिदा मिले। जमाल ने बताया कि आपके लड़के की नियुक्ति की बात फाइनल हो चुकी है और अधिकारी को पैसा देना है। उनके कहने पर आरटीजीएस, नकद और यूपीआई के जरिए कुल 14 लाख रुपए दे दिए गए। विद्यालय अस्तित्व में ही नहीं
कुछ दिनों बाद कौशलेश ने फोन पर बताया कि आपका लड़का टीजीटी परीक्षा में पास हो गया है। कुछ दिनों बाद रजिस्टर्ड डाक से एक नियुक्ति पत्र, जो माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज द्वारा जारी किया गया था और इस पर अपर शिक्षा निदेशक (राजकीय) उत्तर प्रदेश के दस्तखत भी थे, बेटे को मिर्जापुर में उसके पते पर प्राप्त हुआ। इसमें राजकीय हाईस्कूल-चहिरया, सोनभद्र में सहायक टीचर पद पर नियुक्ति की बात लिखी थी। जब बेटा गया तो पता चला कि इस पते पर इस नाम का स्कूल अस्तित्व में नहीं है। दूसरा नियुक्ति पत्र भी फर्जी
फोन करने पर कौशलेश ने कहा कि पता गलत टाइप हो गया है और जल्द दूसरा नियुक्ति-पत्र दे दिया जाएगा। इसके बाद उसने दूसरा नियुक्ति-पत्र देने की बात कही। इसमें गांव का नाम चकरिया लिख गया था। बाद में पता लगा कि इस नाम का भी कोई विद्यालय सोनभद्र में नहीं था और यह नियुक्ति-पत्र भी फर्जी निकला। इसके बाद कौशलेश ने एक महीने में पैसा लौटाने की बात कही और 6 लाख का चेक भी दिया। इसके बावजूद पैसे वापस नहीं किए। थाना प्रभारी सिविल लाइंस रामाश्रय यादव ने बताया- तहरीर के आधार पर केस दर्ज कर लिया गया है। दस्तावेजों की जांच कराई जा रही है।
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