बरेली के भोजीपुरा में एक मुस्लिम परिवार द्वारा बेटी के निकाह में हिंदू मेहमानों को आमंत्रित करने पर विवाद खड़ा हो गया है। निकाह पढ़ाने वाले मौलवी ने हिंदुओं को दावत देने के कारण निकाह पढ़ाने से इनकार कर दिया और कथित तौर पर फतवा भी जारी किया। भोजीपुरा निवासी ताहिर अली की बेटी का निकाह तय हुआ था। उन्होंने अपने परिचितों के साथ-साथ हिंदू समाज के लोगों को भी दावत में बुलाया था। ताहिर अली के अनुसार, वे वर्षों से आपसी सौहार्द के साथ रहते आए हैं और इसी भावना के तहत उन्होंने यह निमंत्रण दिया था। जब यह बात निकाह पढ़ाने वाले मौलवी को पता चली, तो उन्होंने निकाह पढ़ाने से इनकार कर दिया। परिवार का आरोप है कि इसके बाद फतवा भी जारी कर दिया गया, जिससे वे आहत हैं। इस घटनाक्रम पर समाजसेवी पंडित सुशील पाठक ने गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि आज भी कट्टर सोच समाज को तोड़ने का काम कर रही है। पंडित पाठक ने कहा कि पंडित रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां ने हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल कायम करते हुए देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया था। उन्होंने सवाल उठाया कि आज उसी देश में अगर एक बेटी के निकाह में हिंदू समाज के लोगों को दावत देने पर फतवा जारी होता है, तो यह बेहद चिंताजनक है। उन्होंने ताहिर अली जैसे लोगों के प्रयासों की सराहना की, जो समाज में भाईचारा बढ़ाने का काम कर रहे हैं, लेकिन कुछ कट्टरपंथी मौलाना ऐसी कोशिशों को कुचलना चाहते हैं। पंडित सुशील पाठक ने शासन-प्रशासन से ऐसी मानसिकता के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की अपील की है। पंडित सुशील पाठक ने बताया कि वे अब तक 1125 कन्याओं का विवाह करा चुके हैं, जिनमें 10 मुस्लिम धर्म की कन्याओं के निकाह भी शामिल हैं। उनके अनुसार, शादी-विवाह धर्म से ऊपर उठकर मानवता और समाज को जोड़ने का माध्यम होना चाहिए।
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