बाहुबली बृजभूषण सिंह लग्जरी लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। अब डेढ़ करोड़ रुपए का घोड़ा भी उनकी अस्तबल की शान बढ़ा रहा है। इसे उन्होंने खरीदा नहीं, बल्कि गिफ्ट में मिला है। गिफ्ट देने वाले सांसद बेटे करण भूषण सिंह के दोस्त हैं। पंजाब से गोंडा में घोड़ा पहुंचते ही उसे देखने वालों की भीड़ लग गई। बृजभूषण सिंह ने खुद घोड़े का वेलकम किया और उसे दुलारा। जब उन्हें इसकी कीमत का पता चला तो ठहाका लगाते हुए कहा- यार, हम तो पागल हो जाएंगे। पूर्व सांसद ने घोड़े की खासियत बताते हुए कहा- घोड़ा महज 2 साल का है। इंटरनेशनल रेस में दौड़ चुका है। एक प्रतियोगिता में 17 लाख रुपये का इनाम जीत चुका है। घोड़े का अलग से पासपोर्ट बना है, जिससे वह विदेशों में भी प्रतियोगिताओं में भाग ले सकता है। सांसद बेटे के पंजाबी दोस्तों ने भेजा बर्थडे स्पेशल गिफ्ट घोड़ा गिफ्ट करने वाले बृजभूषण सिंह के बेटे और सांसद करण भूषण सिंह के दोस्त हैं। इनके नाम तेजवीर बराड़, गुरप्रीत और दीपक हैं। तीनों पंजाब में घोड़ा रेसिंग अकादमी से जुड़े हैं। सूत्रों के मुताबिक, 8 जनवरी को बृजभूषण सिंह का 69वां जन्मदिन है। बर्थडे गिफ्ट के तौर पर तीनों मिनी ट्रक से घोड़ा लेकर पंजाब से आए। फिलहाल, बृजभूषण सिंह ने घोड़े को अस्तबल के कर्मचारियों को सौंप दिया है। उन्हें निर्देश दिए हैं कि घोड़े के खान-पान में कोई कमी न हो, नियमित ट्रेनिंग कराई जाए। उसकी सेहत और फिटनेस पर खास नजर रखी जाए। पहले से मौजूद हैं तीन महंगे मारवाड़ी घोड़े
इस गिफ्ट से पहले यहां तीन महंगे मारवाड़ी घोड़े पहले से मौजूद थे। इनमें से एक बादल, कीमत करीब 10 लाख रुपए और दूसरा बुलेट, जिसकी कीमत करीब 8 लाख रुपए है। नए घोड़े के आने के बाद अब घोड़ों की संख्या चार हो गई है। इसके अलावा बृजभूषण के पास 150 से अधिक गायें हैं, जिनमें से करीब 70 गिर नस्ल की हैं। गिर नस्ल की प्रत्येक गाय की कीमत 5 लाख रुपए से अधिक आंकी जाती है। 5 एकड़ में बना सफेद बंगला, जिसमें हेलीपैड भी जिम के बाद अकसर घुड़सवारी करने चले जाते हैं गाय के नाम पर बनाया नंदिनी ग्रुप, स्कूल-कॉलेज की चेन बनाई
सांसद बृजभूषण खुद को माटी से जुड़ा हुआ बताते हैं। उन्होंने अपने स्कूल-कॉलेज की चेन का नाम नंदिनी के नाम से रखा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान राम की नगरी अयोध्या से गोंडा जिला लगा हुआ है। जिसका प्राचीन नाम गोनर्द हुआ करता था। यहां ऋषि मुनि तपस्या किया करते थे। मान्यता है कि इसी भूमि पर रघुकुल के गुरु वशिष्ठ का आश्रम था। यहीं राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न ने शिक्षा ग्रहण की थी। ऋषि वशिष्ठ के पास एक नंदिनी नाम की गाय थी। ऋषि वशिष्ठ उस गाय की पूजा करते थे। इसी मान्यता के चलते बृजभूषण शरण सिंह ने 11 नवंबर 1994 को नंदिनी नगर महाविद्यालय की नींव रखी थी। इसके बाद उन्होंने कई स्कूल कॉलेज का नाम नंदिनी ग्रुप के नाम से रखा। इसमें इंटर कॉलेज, डिग्री कॉलेज, इंजीनियरिंग, नर्सिंग और मैनेजमेंट के कॉलेज शामिल हैं। खुद के कॉलेज में बनवाया इंटरनेशनल रेसलिंग स्टेडियम
बृजभूषण सिंह 16 साल की उम्र में ही कुश्ती में भाग लेने लगे थे। जब वह सियासत में आए और सांसद बने तभी से कुश्ती के इवेंट करवाने लगे थे। गोंडा में अक्सर राज्य स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता करवाते थे। यह प्रतियोगिता मिट्टी पर आयोजित की जाती थी। जब वे WFI के अध्यक्ष बने तो धीरे-धीरे अपने ही कॉलेज में एक इंटरनेशनल रेसलिंग स्टेडियम तैयार करवाया। यहां 500 से ज्यादा महिला पुरुष पहलवान रह सकते हैं। प्रैक्टिस के लिए मैट के चार बड़े हॉल बनवाए गए हैं। यहां नेशनल, इंटरनेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप का आयोजन किया जाता है। छोटी उम्र में पांच भाइयों को खोया, छात्र संघ से सियासत में की एंट्री
बृजभूषण सिंह का जन्म 8 जनवरी 1957 को गोंडा जिले के बिसनोहरपुर गांव में हुआ था। वो जब 12 साल के थे तो 2-3 साल के अंदर उनके 5 भाइयों की मौत हो गई। घर की सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। उनके चचेरे बाबा विधायक थे, इसलिए परिवार का राजनीतिक रसूख था। साथ ही रंजिश भी काफी थी। 16 साल की उम्र में ही बृजभूषण राजनीतिक रूप से सक्रिय होने लगे थे। इसके बाद जब उन्होंने साकेत कॉलेज में दाखिला लिया तो 1979 में छात्रसंघ का चुनाव जीता। बृजभूषण के हैं 48 डिग्री कॉलेज, कई इंटर कॉलेज भी हैं पोस्ट ग्रेजुएट, बृजभूषण राजनीति में लगातार हाथ आजमाते रहे। साल 1991 में पहली बार आनंद सिंह के खिलाफ बृजभूषण सिंह लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। इसके बाद वो 1991, 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 लोकसभा के निर्वाचित सदस्य बने। उनके करीबी बताते हैं कि 80 के दशक में बृजभूषण अपने तीन दोस्तों के साथ बालू खनन की ठेकेदारी करते थे। राजनीति के साथ-साथ वो धीरे-धीरे शिक्षा के क्षेत्र में उतरे। आज गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती समेत पूरे देवीपाटन मंडल में उनके 48 डिग्री कॉलेज हैं और कई इंटर कॉलेज भी हैं। ——————————— ये खबर भी पढ़िए… मैं 95% डैमेज हो चुकी थी…10 सेकेंड में जीती फाइट:प्रयागराज में गोल्ड मेडलिस्ट खुशबू बोलीं- कलाई पर पापा का नाम देख जान आई 2-3 पंच मुझे और पड़ते तो गेम ओवर हो जाता। वो मुझे 95% डैमेज कर चुकी थी। फिर मैंने कलाई पर लिखा हुआ पापा का नाम देखा। तब पता नहीं कहां से मेरे शरीर में जान आ गई। मैं हिम्मत करके उठी। मम्मी-पापा को याद कर मैंने पूरी ताकत झोंक दी और यह मेडल अपने नाम किया। आखिरी 10 सेकेंड में मैंने ये फाइट जीती। ये कहना है प्रयागराज की गोल्ड मेडलिस्ट बेटी खुशबू निषाद का। । पढ़िए पूरी खबर…
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