बुलंदशहर नगर पालिका द्वारा डीएवी फ्लाईओवर के नीचे 35 लाख रुपए की लागत से निर्मित लाइब्रेरी एक साल बाद भी चालू नहीं हो पाई है। 15वें वित्त आयोग की धनराशि से बनी यह लाइब्रेरी अब केवल एक शोपीस बनकर रह गई है, जिससे शहरवासियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रशासनिक उदासीनता के कारण लाइब्रेरी की हालत बिगड़ती जा रही है। इसके अंदर धूल की मोटी परत जम गई है, फर्नीचर पर जंग लगने लगा है और दीवारें क्षतिग्रस्त हो रही हैं। छात्रों को निजी लाइब्रेरी में मोटी फीस देकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। विद्यार्थी सचिन वशिष्ठ ने बताया कि निर्माण के बाद से ही लाइब्रेरी के ताले नहीं खुले हैं और न ही यहां कोई पुस्तकें रखी गई हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द लाइब्रेरी चालू नहीं हुई तो छात्र आंदोलन करेंगे। दिनेश कुमार शर्मा उर्फ सुबोध ने बताया कि उनके बच्चे निजी लाइब्रेरी में पढ़ने को मजबूर हैं, जिसके लिए उन्हें हर महीने मोटी रकम चुकानी पड़ रही है। नगर पालिका ने इस परियोजना को 15वें वित्त आयोग की राशि से पूरा किया था और इसे शहर में एक मॉडल लाइब्रेरी के रूप में विकसित करने की योजना थी। हालांकि, अभी तक न तो कोई संचालन समिति गठित की गई है, न ही इसे किसी विभाग को हस्तांतरित किया गया है और न ही स्टाफ की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई है। यदि लाइब्रेरी का संचालन शुरू होता है, तो इससे आसपास के बच्चों को एक सुरक्षित अध्ययन स्थल मिलेगा और फ्लाईओवर के नीचे के स्थान का भी सदुपयोग होगा। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि लाइब्रेरी का जल्द आवंटन किया जाए, इसका संचालन किसी योग्य संस्थान को सौंपा जाए और यहां पुस्तकें, कंप्यूटर, इंटरनेट तथा बैठने की उचित व्यवस्था की जाए।
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