बुलंदशहर में नगर के मुख्य नाले के निर्माण और उस पर मिनी बाईपास बनाने का प्रस्ताव दो विभागों के बीच 6 लाख रुपए के विवाद के कारण अटक गया है। सिंचाई विभाग ने नगर पालिका से प्रस्ताव तैयार करने के लिए यह राशि मांगी थी, लेकिन नगर पालिका ने इसका भुगतान नहीं किया। इस गतिरोध के कारण परियोजना की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई है। प्रशासनिक अधिकारियों ने भी इसे आगे बढ़ाने में कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई है, जिससे यह महत्वपूर्ण कार्य अधर में लटक गया है। नगर के बीच से गुजरने वाले सिंचाई विभाग के इस नाले की स्थिति काफी खराब है। लगभग 12 फीट गहरे इस नाले की सफाई का कार्य नगर पालिका द्वारा किया जाता है। करीब एक साल पहले, नाले के निर्माण और उसकी पटरी पर मिनी बाईपास बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। तीन किलोमीटर लंबा नाला बनाने की योजना थी
योजना के तहत, प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृति के लिए शासन को भेजा जाना था, लेकिन अभी तक प्रस्ताव ही तैयार नहीं हो सका है। इस देरी के कारण आए दिन हादसों का डर बना रहता है। नगर पालिका अधिकारियों के अनुसार, चूंकि नाला सिंचाई विभाग का है, इसलिए प्रस्ताव तैयार करने और राज्य आपदा न्यूनीकरण से धनराशि प्राप्त करने की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग की ही थी। नाला निर्माण के बाद रोडवेज बस अड्डे से काली नदी तक लगभग तीन किलोमीटर लंबा नाला बनाने और उसकी पटरी पर सड़क बनाने की योजना थी। अधिकारियों ने लगभग नौ महीने पहले नाले और सड़क की ड्राइंग तैयार कर ली थी, लेकिन इसके बाद आगे की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। अधिकारियों की इस लापरवाही के कारण नगर में पानी की निकासी, गंदगी की समस्या और हादसों पर अंकुश लगाने के लिए लोगों को अभी और इंतजार करना पड़ेगा। मिनी बाईपास के तौर पर किया जाएगा प्रयोग
नाले की पटरी पर सड़क निर्माण और नाले पर स्लैब डाले जाने के बाद इसे मिनी बाईपास के तौर पर प्रयोग किया जाएगा। सड़क निर्माण के बाद रोडवेज बस अड्डा से नाले के किनारे बसी कॉलोनियों में जाने के लिए लोगों को अन्य कॉलोनियों से होकर गुजरना नहीं पड़ेगा। साथ ही बाईपास की ओर से रोडवेज बस अड्डा और रोडवेज बस अड्डा की ओर से बाईपास की ओर सीधे आवागमन हो सकेगा। सफाई के नाम पर होती है खानापूर्ति
सिंचाई विभाग के इस नाले में बड़ी मात्रा में कूड़ा फेंका जाता है। राधा नगर निवासी राहुल सिंह ने बताया कि नाले में पानी कम और कूड़ा अधिक दिखाई देता है। इस नाले की सफाई नगर पालिका कराती है, लेकिन सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती है। सचिन कुमार ने बताया कि इस नाले की सफाई के नाम पर लाखों रुपए खर्च दिखाया जाता है, लेकिन नाला केवल बारिश के समय में ही साफ होता है। नाले की गहराई अधिक होने और नगर पालिका के पास संसाधनों के अभाव में नाले की सफाई केवल सड़क किनारे के पास सफाई की जाती है। बार-बार हुए हादसे, पर नहीं हुई सुनवाई
नगर के बीच से गुजरने वाले इस नाले के किनारे राधानगर, साठा समेत कई कालोनियां बसी हुई हैं। स्थिति यह है कि नाले के किनारे बने मकानों में न केवल सीलन की समस्या रहती है, बल्कि नाले के खुला होने के चलते आए दिन हादसे हुए। करीब तीन साल पहले 21 सितंबर 2022 को राधा नगर निवासी गजेंद्र का दो वर्षीय बेटा भूपेश खेलते हुए नाले में गिर गया था। करीब 40 मिनट बाद भूपेश का शव मिला था। राधा नगर निवासी सचिन कुमार ने बताया कि शहर के बीच से गुजर रहे बड़े नाले के कारण लगातार हादसे हो रहे हैं। नाले में पूर्व में पांच से छह लोग गिर चुके हैं, जबकि ढाई साल पहले रोडवेज बस स्टैंड के पास नगर पालिका का ट्रेक्टर-ट्रॉली भी नाले में गिरे थे, जिसमें ट्रैक्टर चालक ने बमुश्किल कूदकर अपनी जान बचाई थी। नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी डा. अश्विनी कुमार सिंह ने बताया कि शहर के बीच से गुजर रहा नाला सिंचाई विभाग का है। इसके निर्माण के लिए सिंचाई विभाग को प्रस्ताव तैयार करना था, लेकिन अभी तक प्रस्ताव तैयार नहीं किया गया है। सिंचाई विभाग की ओर से ड्राइंग व अन्य खर्च के लिए छह लाख रुपए की मांग की गई है। नाले का निर्माण सिंचाई विभाग को करना है तो धनराशि क्यों दी जाए।
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