बुलंदशहर की फास्ट ट्रैक कोर्ट (एफटीसी-02) ने वर्ष 2016 के एक नाबालिग के अपहरण और दुष्कर्म मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मुख्य आरोपी शहजाद को 10 वर्ष के कठोर कारावास और ₹40,500 के अर्थदंड की सजा दी है। वहीं, सह-अभियुक्ता गुलफिसा को 3 वर्ष का कठोर कारावास और ₹20,500 का अर्थदंड सुनाया गया है। यह निर्णय न्यायाधीश मनोज कुमार शासन ने दिया। यह मामला 9 मई 2016 को थाना कोतवाली नगर में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है। पीड़िता के पिता ने शिकायत दर्ज कराई थी कि अभियुक्त शहजाद और उसकी महिला सहयोगी गुलफिसा उनकी नाबालिग बेटी को बहला-फुसलाकर ले गए थे। आरोप था कि अपहरण के बाद शहजाद ने लड़की के साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच शुरू की। गहन छानबीन के बाद, पुलिस ने 4 जुलाई 2016 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 6 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए। गवाहों के बयानों, पीड़िता के मेडिकल रिपोर्ट, तथ्यात्मक साक्ष्यों और पूरे घटनाक्रम पर विस्तृत सुनवाई हुई। सभी साक्ष्यों और तर्कों पर विचार करने के बाद, अदालत ने दोनों अभियुक्तों को दोषी पाया। 9 दिसंबर 2025 को सुनाए गए फैसले में, कोर्ट ने अपराध की गंभीरता और पीड़िता की उम्र को ध्यान में रखते हुए कहा कि ऐसे अपराधों में कठोर दंड आवश्यक है। मुख्य आरोपी शहजाद पुत्र अख्तर (निवासी ग्राम ततारपुर, कोतवाली नगर) को 10 वर्ष का कठोर कारावास और ₹40,500 का अर्थदंड मिला। सह-अभियुक्ता गुलफिसा पत्नी यूनुस (निवासी जुलैपुरा, कोतवाली देहात) को 3 वर्ष का कठोर कारावास और ₹20,500 का अर्थदंड दिया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से भूपेन्द्र सिंह राजपूत ने प्रभावी पैरवी की, जिसके आधार पर अभियुक्तों को दोषी ठहराया गया।
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