नोएडा के बिसाहड़ा कांड मामले में आज कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे को वापस लेने वाली सरकार की याचिका खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिका को आधारहीन और महत्वहीन बताया। अब इस केस में 6 जनवरी को सुनवाई होगी। इससे पहले दो बार तारीख लग चुकी है। शासन और संयुक्त निदेशक अभियोजन के आदेश के बाद सहायक जिला शासकीय वकील (फौजदारी) ने अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल किया है, जिसमें सामाजिक सद्भाव की बहाली को देखते हुए मुकदमा वापस लेने का आदेश पारित करने की अनुमति मांगी गई है। 12 और 18 दिसंबर को हुई थी सुनवाई इससे पहले 12 दिसंबर, 18 दिसंबर को हुई सुनवाई में अभियोजन पक्ष ने समय मांगा था। जिसके बाद आज की तारीख दी गई। उत्तर प्रदेश शासन के न्याय अनुभाग-5 (फौजदारी) लखनऊ द्वारा 26 अगस्त 2025 को जारी शासनादेश के अनुसार इस मुकदमे को वापस लेने का निर्णय लिया गया था। संयुक्त निदेशक अभियोजन गौतमबुद्धनगर ने 12 सितंबर 2025 को पत्र जारी करते हुए जिला शासकीय वकील (फौजदारी) गौतमबुद्धनगर को इस संबंध में कार्रवाई के निर्देश दिए थे। पत्र में कहा गया था कि राज्यपाल महोदया द्वारा अभियोजन वापसी की अनुमति प्रदान कर दी गई है। यह कार्रवाई दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-321 के तहत की गई है। इसके बाद 15 अक्टूबर को अर्जी दाखिल की गई थी। अब पढ़िए पूरा मामला
28 सितंबर 2015 की रात थाना जारचा क्षेत्र के गांव बिसाहड़ा में गोमांस सेवन की अफवाह फैलते ही भीड़ ने एक घर पर हमला कर दिया था। इस दौरान गांव निवासी अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई, जबकि उसका बेटा दानिश गंभीर रूप से घायल हो गया था। यह घटना पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव का कारण बनी और बिसाहड़ा गांव राष्ट्रीय सुर्खियों में आ गया। मामले में अखलाक की पत्नी इकरामन ने दस लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जांच के दौरान पुलिस ने धारा 147, 148, 149, 307, 302, 323, 504, 506, 427, 458 भादंवि और 7 क्रिमिनल लॉ एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। विवेचना में चश्मदीद गवाहों पत्नी इकरामन, मां असगरी, पुत्री शाहिस्ता और पुत्र दानिश के बयान दर्ज किए गए थे। शुरुआती बयानों में 10 आरोपियों के नाम थे, लेकिन बाद के बयानों में गवाहों ने अन्य 16 नाम और जोड़ दिए।
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