बिरजू महाराज कथक संस्थान, लखनऊ ने राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह, कैसरबाग में एक कथक संध्या का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में लखनऊ घराने की समृद्ध परंपरा, नज़ाकत और सशक्त अभिनय का संगम देखने को मिला।कथक संध्या के अंतर्गत लखनऊ घराने की सुप्रसिद्ध कलाकार स्मृति मिश्रा टंडन एवं कांतिका मिश्रा ने मनोहारी कथक प्रस्तुतियां दीं। कलाकारों ने अपने पिता एवं लखनऊ घराने के प्रख्यात गुरु स्व. अर्जुन मिश्रा से कथक की शिक्षा प्राप्त की है। इन्हें संस्कृति मंत्रालय एवं संगीत नाटक अकादमी के सम्मान प्राप्त हैं, और इन्होंने पेरिस, फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, साउथ अफ्रीका और कोलंबो सहित अनेक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी प्रस्तुतियों से ख्याति अर्जित की है। कलाकारों ने तीनताल की प्रस्तुति दी प्रथम प्रस्तुति में दशावतार के माध्यम से भगवान विष्णु के दस दिव्य रूपों का चित्रण किया गया। इसके बाद तीनताल विलंबित एवं मध्यलय में लखनऊ घराने की विशिष्ट थाट, उठान, आमद, धतक थुंगा, परन जुड़ी आमद, कवित्त एवं खास बंदिशों के साथ तीनलय के चक्कर प्रस्तुत किए गए।अगले चरण में कजरी ‘नहीं आए घनश्याम, घेरी आई बदरी’ के माध्यम से राधा के विरह और कृष्ण आगमन की उत्कंठा को दर्शाया गया। संगीत के माध्यम से द्रौपदी के चरित्र की प्रस्तुति कांतिका मिश्रा ने अभिनय पक्ष में द्रौपदी के चरित्र को प्रस्तुत करते हुए नारी शक्ति, धैर्य और आत्मसम्मान का संदेश दिया।कार्यक्रम के समापन अवसर पर छमाही अभिरुचि पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। सहयोगी कलाकारों में पढ़ंत पर पंडित अनुज मिश्रा एवं नेहा सिंह मिश्रा, तबले पर पंडित विकास मिश्रा, गायन में प्रखर पांडे, सरोद पर ध्रुव त्रिपाठी, बांसुरी पर दीपेंद्र कुंवर तथा उद्घोषणा देवेन्द्र सिंह शामिल थे। ये लोग शामिल हुए कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थान की उपाध्यक्ष डॉ. मिथिलेश तिवारी और विशेष सचिव, संस्कृति/निदेशक संजय कुमार सिंह ने किया। उन्होंने मुख्य अतिथि प्रो. मनुका खन्ना, कुलपति, लखनऊ विश्वविद्यालय, तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. आर.एन मिश्रा, कुलपति, मेजर एस.डी.सिंह विश्वविद्यालय, फर्रुखाबाद का स्वागत पुष्पगुच्छ और अंगवस्त्र भेंट कर किया। इसके बाद दीप प्रज्ज्वलन के साथ सांस्कृतिक संध्या का विधिवत आरंभ हुआ।
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