गोरखपुर में बिजली कर्मचारियों, किसान संगठनों और ट्रेड यूनियनों का साझा मोर्चा अब सक्रिय रूप से बड़ी तैयारी में जुट गया है। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण तथा इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 के खिलाफ संगठनों ने संयुक्त संघर्ष पर सहमति बना ली है। 14 दिसंबर, दिल्ली में होने वाली राष्ट्रीय बैठक में आंदोलन की दिशा और आगे की कार्ययोजना निश्चित की जाएगी। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन एवं विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि किसान संगठनों और अखिल भारतीय ट्रेड यूनियनों ने बिल का विरोध करने पर सहमति दे दी है। उनका कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 देशभर में पावर सेक्टर को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया है, जिसके खिलाफ संगठित प्रतिरोध आवश्यक हो गया है। 14 दिसंबर की बैठक में तय होगी संयुक्त राष्ट्रीय योजना दुबे के अनुसार बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति, नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज़ एंड इंजीनियर्स ने 14 दिसंबर को प्रस्तावित मीटिंग में संघर्ष की पूरी रणनीति तय करने का निर्णय लिया है। संयुक्त किसान मोर्चा, किसान मजदूर मोर्चा तथा अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन संगठनों के पदाधिकारियों को आमंत्रण भेजा जा चुका है। गोरखपुर में आज आंदोलन अपने 377वें दिन पर पहुंच गया। नगरीय परीक्षण खंड परिसर में बिजली कर्मियों ने निजीकरण के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद अधिशासी अभियंता (परीक्षण खंड गोरखपुर) के साथ वार्ता हुई। जिसमें यह तय हुआ कि विभागीय संयोजनों पर बिना सहमति के मीटरिंग नहीं की जाएगी और असहमति के आधार पर बिजली कटौती नहीं होगी। वार्ता शांतिपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुई। टेंडर जारी हुआ तो होगा ‘जेल भरो आंदोलन’ समिति ने स्पष्ट कहा कि यदि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का टेंडर जारी किया गया, तो राज्यभर के बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और अधिकारी जेल भरो आंदोलन शुरू करेंगे। समिति ने चेतावनी दी कि किसी भी टकराव या अव्यवस्था की पूर्ण जिम्मेदारी सरकार और प्रबंधन पर होगी।
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