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बाल श्रम पर होगी कड़ी कार्रवाई:मुख्य विकास अधिकारी ने दिए निर्देश, मथुरा को 2027 तक बाल श्रम मुक्त बनाने का लक्ष्य

मथुरा में बाल श्रम उन्मूलन को लेकर कलेक्ट्रेट सभागार में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) मनीष मीणा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में जनपद को 2027 तक बाल श्रम मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। जिलाधिकारी के निर्देश पर आयोजित इस संयुक्त बैठक में बाल श्रम के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों की समीक्षा की गई। बैठक में सहायक श्रमायुक्त एम.एल. पाल ने बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 (संशोधित अधिनियम 2016) के प्रावधानों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से किसी भी प्रकार का कार्य कराना पूर्णतः प्रतिबंधित है। इसका उल्लंघन करने पर 20 हजार से 50 हजार रुपये तक का जुर्माना या 6 माह से 2 वर्ष तक की कैद, अथवा दोनों का प्रावधान है। एम.एल. पाल ने यह भी बताया कि शासन के निर्देश पर जिलाधिकारी द्वारा गठित टीम ने 1 से 15 दिसंबर तक एक विशेष अभियान चलाया। इस अभियान के दौरान जनपद के 16 प्रतिष्ठानों से कुल 19 बाल श्रमिकों को कार्य से मुक्त कराया गया है। संबंधित सेवायोजकों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है। मुख्य विकास अधिकारी मनीष मीणा ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि चिन्हित बाल श्रमिकों को सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जाए और उन्हें शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल किया जाए। उन्होंने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को इस संबंध में विशेष निर्देश दिए। सीडीओ ने कहा कि शासन की मंशा के अनुरूप वर्ष 2027 तक मथुरा जनपद को बाल श्रम मुक्त बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं। अपर जिलाधिकारी प्रशासन डॉ. अमरेश कुमार ने बंधुआ श्रम के लंबित मामलों का शीघ्र निस्तारण करने के निर्देश दिए। बैठक में ईंट भट्ठा एसोसिएशन और इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बाल श्रम न कराने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इस संयुक्त बैठक में विभिन्न विभागों के अधिकारी और सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।


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