बाराबंकी के रामसनेहीघाट के सराय बरई गांव में पटाखा फैक्ट्री में आग की घटना पहली नहीं है। इससे पहले भी क्षेत्र तीन बार ऐसी घटनाओं से दहल चुका है। इनमें कई लोगों की जान गई, जबकि कई लोग झुलसकर अपंग हो गए। इसके बावजूद न पटाखा बनाने वालों ने सबक लिया और न ही पुलिस प्रशासन ने कोई ठोस कदम उठाया। रामसनेहीघाट थाना क्षेत्र के सराय बरई गांव में पटाखा फैक्ट्री में लगी आग में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि पांच लोग घायल हुए हैं। गुरुवार दोपहर हुई इस घटना ने एक बार फिर पुराने जख्म ताजा कर दिए हैं। घायलों में चार की हालत गंभीर बताई जा रही है। इस क्षेत्र की पटाखा फैक्ट्रियों में आग की घटनाओं ने पहले भी कई जिंदगियाँ लील ली हैं और कई लोगों को झुलसाया है। पिछले डेढ़ दशक में मई 2013 में इसी क्षेत्र में एक क्रैकर फैक्ट्री में आग लगने से तीन लोगों की मौत हुई थी। इनमें दो किशोर शामिल थे, जबकि तीसरे शव की पहचान नहीं हो सकी थी। दूसरी बड़ी घटना 25 दिसंबर 2018 को रामसनेहीघाट थाना क्षेत्र के धारूपुर गांव में हुई। यहां लाइसेंसी पटाखा धारक हसीब की फैक्ट्री में हुए भीषण विस्फोट में फैक्ट्री के भीतर मौजूद आकाश और मोहम्मद की मौके पर ही मौत हो गई थी। एक मृतक की पहचान नहीं हो सकी थी। इस घटना में मिथुन (16), राधा (35), मेहरजहां (18), आयशा सहित 12 लोग घायल हुए थे। जांच में खुलासा हुआ था कि हसीब ने कागजों में फैक्ट्री गांव के बाहर दिखाई थी, लेकिन वास्तव में वह अपने घर के भीतर ही पटाखे तैयार कराता था। धमाके से आसपास के कई मकानों में दरारें पड़ गई थीं और गांव में लगातार पांच दिनों तक बारूद फटने की आवाजें सुनाई देती रहीं। करीब दो वर्ष पहले, वर्ष 2023 में, धरौली गांव में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी। एक लाइसेंसी धारक की फैक्ट्री में हुए विस्फोट में उसकी 18 वर्षीय पुत्री गंभीर रूप से झुलस गई थी। इलाज के दौरान उसने लखनऊ में 20 दिन बाद दम तोड़ दिया।
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