बाराबंकी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) रामसनेहीघाट में मरीजों से अवैध वसूली का आरोप लगा है। कोटवा सड़क निवासी अनुज वर्मा ने दावा किया है कि पैर में चोट लगने पर टांका लगाने के लिए उनसे 200 रुपये जबरन लिए गए, जबकि 270 रुपये मांगे गए थे। अनुज के साथ मौजूद संदीप वर्मा ने भी इस वसूली की पुष्टि की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी अस्पताल में पैसे न होने पर इलाज नहीं मिलता। मामले की जानकारी मिलने पर सीएचसी अधीक्षक डॉ. रमेश कुमार ने संबंधित स्टाफ के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने कई बार स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी मरीज से कोई शुल्क न लिया जाए। हालांकि, रामसनेहीघाट में इन आदेशों का पालन होता नहीं दिख रहा। यह अस्पताल पहले भी विवादों में रहा है। मरीजों का आरोप है कि अस्पताल परिसर में बाहरी लोगों का दखल बढ़ गया है। ये लोग मरीजों को गुमराह कर बाहरी पैथोलॉजी और मेडिकल स्टोर से जांच व दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। आरोप है कि मरीजों से 500-600 रुपये तक की दवाइयों की पर्ची लिखी जाती है और पैथोलॉजी टेस्ट के नाम पर हजारों रुपये तक की वसूली की जाती है। परिसर में बाहरी लड़कों और दलालों की सक्रियता भी देखी जा रही है, जिससे अस्पताल एक निजी नर्सिंग होम की तरह संचालित हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि दरियाबाद विधानसभा क्षेत्र के हजारों लोगों के लिए यह एकमात्र प्रमुख सरकारी स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन अब यह भ्रष्टाचार का केंद्र बन गया है। वे उम्मीद कर रहे हैं कि स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक इस मामले में कठोर कार्रवाई करेंगे और अवैध वसूली में शामिल कर्मचारियों पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।
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