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बाबू गेनू ने स्वदेशी आंदोलन के लिए दिया बलिदान:22 साल की आयु में विदेशी कपड़ों के विरोध में हुए शहीद

सुलतानपुर में स्वदेशी आंदोलन के लिए 22 वर्ष की युवावस्था में प्राण न्योछावर करने वाले शहीद बाबू गेनू का बलिदान दिवस मनाया गया। जनपद के धर्मपाल कॉम्प्लेक्स में शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में स्वदेशी जागरण मंच के विचार विभाग प्रमुख डॉ. अशोक मिश्र ने बाबू गेनू को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का आयोजन स्वदेशी जागरण मंच द्वारा किया गया था, जिसमें सर्वप्रथम दीप प्रज्ज्वलन कर बाबू गेनू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। डॉ. अशोक मिश्र ने बाबू गेनू के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उनका जन्म 1908 में पुणे के मलगांव में एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। परिवार की दयनीय आर्थिक स्थिति के कारण वे आजीविका की तलाश में मुंबई चले गए, जहाँ उन्होंने मजदूरी की। राष्ट्रीय चेतना से ओतप्रोत बाबू गेनू विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार और स्वदेशी के आंदोलनों में सक्रिय रूप से शामिल हो गए। 12 दिसंबर 1930 को, जब पुलिस सुरक्षा में विदेशी कपड़ों की एक खेप ले जाई जा रही थी, तो उन्होंने उसका विरोध किया। अंग्रेज अधिकारियों के बार-बार मना करने के बावजूद, वे ट्रक के सामने अडिग खड़े रहे। अंततः, ट्रक उनके ऊपर चढ़ा दिया गया और उन्होंने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया। डॉ. मिश्र ने कहा कि जिस उम्र में लोग खेलने-खाने का आनंद लेते हैं, उसी उम्र में बाबू गेनू ने स्वदेशी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनका बलिदान देश हमेशा याद रखेगा और वे सदा के लिए अमर रहेंगे। इस अवसर पर आशीष जी, राजीव तिवारी, विभाग संयोजक धर्मेंद्र द्विवेदी, विभाग सहसंयोजक राजीव तिवारी, जिला संयोजक आशीष तिवारी एडवोकेट, नगर संयोजक गंगा शरणपांडे, मीडिया प्रभारी दीपक मिश्रा, जिला संरक्षक विजय प्रधान, जिला प्रमुख अमन त्रिपाठी, शालिनी तिवारी, रश्मी शुक्ला, अनुराधा सोनी, मीनू सिंह, नीलम त्रिपाठी और जिला महिला प्रमुख सुधा सिंह सहित कई अन्य लोग उपस्थित रहे।


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