काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव मंदिर में वार्षिक श्रृंगार और अन्नकूट का भव्य आयोजन बड़े ही श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर मंदिर परिसर भक्तिमय माहौल में डूबा नजर आया और बाबा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। पहले देखें 3 तस्वीर… बाबा को लगा 56 प्रकार का भोग मंदिर के महंत योगेश्वर बाबा काल भैरव ने बताया कि परंपरा के अनुसार हर वर्ष बाबा का वार्षिक श्रृंगार और अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान श्री श्री बाबा 1008 श्री काल भैरव जी को 56 भोग अर्पित किए गए, जिनमें विभिन्न प्रकार के फल, मिष्ठान, मदिरा सहित अन्य प्रसाद शामिल रहे। बाबा को विशेष वस्त्र धारण कराए गए और विधिवत श्रृंगार आरती संपन्न की गई। भक्तों ने सुख समृद्धि का मांगा आशीर्वाद श्रृंगार और आरती के बाद भक्तों के दर्शन के लिए मंदिर का कपाट खोल दिया गया। बाबा के अलौकिक स्वरूप के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखने को मिलीं। भक्त जयकारे लगाते हुए बाबा से सुख-समृद्धि और सुरक्षा की कामना करते नजर आए। महंत ने बताया कि वार्षिक श्रृंगार के अवसर पर रात्रि 11 बजे तक दर्शन-पूजन का क्रम जारी रहेगा। जानिए काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव की कहानी काशी शिव की नगरी है, जहां वह बाबा विश्वनाथ के रूप में नगर के राजा के तौर पर पूजे जाते हैं। यहां गंगा के तट पर पहुंचते ही भैरव बाबा के हाथ से ब्रह्माजी का शीश अलग हो गया और भैरव बाबा को ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिली। काल भैरव के पाप मुक्त होते ही वहां शिवजी प्रकट हुए और उन्होंने काल भैरव को वहीं रहकर तप करने का आदेश दिया। शिवजी ने काल भैरव को आशीर्वाद दिया कि तुम इस नगर के कोतवाल कहलाओगे और इसी रूप में तुम्हारी युगों-युगों तक पूजा होगी। शिव प्रेरणा से जिस स्थान पर काल भैरव रह गए, बाद में वहां काल भैरव का मंदिर स्थापित कर दिया गया। काशी में मान्यता है कि भक्तों को बाबा विश्वनाथ के बाद काल भैरव के दर्शन करना अनिवार्य है। अन्यथा बाबा विश्वनाथ के दर्शन भी अधूरे माने जाते हैं।
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