पीलीभीत टाइगर रिजर्व (PTR) की माला रेंज से सटे गांवों में किसानों ने बाघों से खेतों को सुरक्षित रखने का एक नया तरीका अपनाया है। गन्ने की कटाई के दौरान, किसान अब सौर ऊर्जा से चलने वाले साउंड सिस्टम पर तेज आवाज में गाने बजा रहे हैं। उनका मानना है कि यह तरीका वन्यजीवों को खेतों से दूर रखने में प्रभावी है। माला रेंज के रामनगरिया, अजीतपुर, जमुनिया, महुआ, माला घेरा, रिछोला और बसंतापुर जैसे गांवों में बाघों की आवाजाही से ग्रामीण अक्सर दहशत में रहते हैं। हाल ही में महुआ गांव में किसान भगवान दास के खेत में बाघ के ताजे पदचिह्न मिलने से किसानों की चिंता और बढ़ गई थी। जमुनिया गांव के किसान कृष्ण कुमार ने अपने साथियों के साथ मिलकर इस खतरे से निपटने का यह ‘म्यूजिकल’ तरीका विकसित किया है। कृष्ण कुमार के अनुसार, गन्ने के घने खेतों में काम करना जोखिम भरा होता है, लेकिन तेज आवाज में गाने बजाने से वन्यजीव खेतों के पास आने से बचते हैं। यह तरीका प्रभावी साबित हो रहा है, जिससे किसान अब समूह में बिना डर के अपने कृषि कार्यों को पूरा कर पा रहे हैं। किसान गौरीशंकर, टिंकू, राम बहादुर, राकेश कुमार, प्रभु दयाल और लालाराम सहित कई अन्य किसान भी कृष्ण कुमार के इस प्रयास में शामिल हैं। वन एवं वन्य जीव प्रभाग के डिप्टी रेंजर शेर सिंह ने बताया कि वन विभाग भी किसानों को जागरूक करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। विभाग गांव-गांव में गोष्ठियां आयोजित कर किसानों को वन्यजीवों से बचाव के सुरक्षित तरीके और सलाह दे रहा है। किसानों का यह ‘देसी जुगाड़’ न केवल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है, बल्कि पीलीभीत के गन्ने के खेतों में अब काम के दौरान तेज संगीत की गूंज भी सुनाई दे रही है। यह इंसानों और वन्यजीवों के बीच एक सुरक्षित दूरी बनाने का एक नया तरीका बन गया है।
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