“पूछेगा इतिहास एक दिन कि बताओ कि धर्म का दोषी कौन रहा ?तो मुस्कुराना और कहना ,जब तक खुद पर नहीं बीती तबतक हर हिन्दू मौन रहा।” ये कहना है सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर व सनातन प्रचारक हर्षा रिछारिया का जिन्होंने बांग्लादेश में हुए हिन्दू की निर्मम हत्या पर सवाल उठाया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल कर हिन्दुओं के खिलाफ हो रही क्रूरता पर अपना पहला रिएक्शन दिया है। साथ ही वीडियो में हिंदू समुदाय की वर्तमान स्थिति और सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है। हर्षा रिछारिया ने कड़े शब्दों में कहा है कि जब तक व्यक्तिगत रूप से किसी पर संकट नहीं आता, तब तक समाज का एक बड़ा हिस्सा ‘मौन’ रहता है, जो आने वाले समय के लिए घातक हो सकता है। इतिहास पूछेगा सवाल वीडियो की शुरुआत एक सवाल से होती है कि इतिहास एक दिन पूछेगा कि धर्म का दोषी कौन रहा? यह सवाल सीधे तौर पर उस कथित उदासीनता की ओर इशारा करता है, जो समाज में बढ़ती हिंसा और सांप्रदायिक तनाव के बीच देखी जा रही है। वीडियो में उन लोगों को श्रद्धांजलि दी गई है, जिन्होंने बिना किसी अपराध के अपनी जान गंवाई। सांप्रदायिक हिंसा और ‘टारगेट’ का आरोप वीडियो में कुछ विवादास्पद और संवेदनशील पहलुओं को भी दिखाया गया है। इसमें चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है कि इतिहास से लेकर वर्तमान तक, हिंदू समुदाय को विभिन्न धार्मिक समूहों द्वारा ‘निशाने’ पर लिया गया है। हर्षा का मुख्य तर्क यह है कि धर्म परिवर्तन और लक्षित हिंसा के बावजूद हिंदू समाज खंडित है। एकता की अपील वीडियो के अंत में विभिन्न जातियों (राजपूत, मराठी, दलित, ब्राह्मण, जाट आदि) का उल्लेख करते हुए एक एकजुट होने का संदेश दिया गया है। संदेश स्पष्ट है— जातिगत पहचान से ऊपर उठकर ‘हिंदू’ पहचान को प्राथमिकता देना ही सुरक्षा का एकमात्र मार्ग है। बढ़ती डिजिटल बहस इस वीडियो ने इंटरनेट पर एक नई बहस छेड़ दी है। जहां यूजर्स का कुछ वर्ग इसे ‘जागरूकता’ का नाम दे रहा है, वहीं दूसरा वर्ग इसे सामाजिक सौहार्द के लिए चुनौतीपूर्ण मान रहा है।
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