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बहरेपन से प्रभावित बच्चे कॉक्लियर इम्प्लांट के बाद सुन सकेंगे:प्रदेश में पहली बार सरकारी अस्पताल में होगी ये सुविधा, उर्सला अस्पताल में होगी सर्जरी

शहर के हजारों श्रवण-बाधित बच्चों के लिए एक ऐतिहासिक कदम कानपुर के जिला उर्सला अस्पताल में उठाया गया है। केंद्र सरकार से स्वीकृति मिलते ही अब इस अस्पताल में कॉक्लियर इम्प्लांट सुविधा शुरू करने की तैयारी अंतिम चरण में है। यह सुविधा देने वाला उर्सला अस्पताल उत्तर प्रदेश का पहला जिला अस्पताल बनने जा रहा है। जिलाधिकारी ने की पहल जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह को उर्सला अस्पताल के डॉक्टरों ने पूरी बात बताई। इसके बाद उन्होंने पहल की तो मामले में तेजी आ सकी। जिलाधिकारी द्वारा किए गए प्रयासों के बाद प्रस्ताव को मंजूरी मिली और अस्पताल को कॉक्लियर इम्प्लांट के लिए अधिकृत किया गया। अब तक कानपुर के सरकारी अस्पतालों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी। मरीजों को बाहर या निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता था। जिलाधिकारी ने इस उपलब्धि के लिए उर्सला के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ प्रवीण सक्सेना एवं उनकी टीम को बधाई दी। 4 से 5 लाख का आता है खर्चा निजी अस्पतालों में 4–5 लाख का रुपए का खर्च आता हैं। गरीब परिवार इलाज से वंचित न रहे इसके लिए सरकारी अस्पताल में इस सुविधा को दिया जाएगा। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सक्सेना ने बताया कि इस सुविधा के शुरू होने से जिले में श्रवण-पुनर्वास प्रणाली में बड़ा बदलाव आएगा। भारत में हर 1,000 बच्चों में लगभग 3–4 बच्चे किसी न किसी स्तर की श्रवण समस्या से पीड़ित पाए जाते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि पहचान और उपचार में देरी के कारण हजारों बच्चे बोलने और सुनने की क्षमता विकसित नहीं कर पाते।
1 से 5 वर्ष की उम्र है महत्वपूर्ण
जो बच्चे बोल नहीं सकते, सुन नहीं सकते ऐसे बच्चों की 1 से 5 वर्ष तक की उम्र बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। सर्जरी के लिए सबसे अच्छा समय ये ही होता हैं। इस सर्जरी के बाद बच्चे सामान्य जीवन में लौट आते हैं।


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