‘ऐसे तो मेरा पूरा परिवार ही खत्म हो जाएगा। पहले दो पोते-पोती, एक बहू और अब एक और पोती को तेंदुए ने अपना शिकार बना लिया। हम गरीब हैं, यहां से कहीं दूर भी नहीं जा सकते। यहीं हमारा जन्म हुआ, हमारी खेती-बाड़ी, जन्मभूमि सब यहीं पर है। अब जाए तो जाएं कहां?’ यह दर्द है उस परिवार के मुखिया अब्दुल रहमान का, जिनकी 7 साल की पोती को घर के बाहर से 18 दिसंबर को तेंदुआ उठा ले गया था। 3 साल में इस परिवार के 3 बच्चों और एक महिला को तेंदुए ने शिकार बनाया। दैनिक भास्कर ने परिवार से बात की। वो घर देखा, जहां तेंदुआ अटैक कर रहा। एक्सपर्ट से जाना कि हमले क्यों हो रहे? पढ़िए पूरी रिपोर्ट…. हमारी टीम कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग की सुजौली रेंज के अयोध्यापुरवा गांव पहुंची। यहां हमारी मुलाकात अब्दुल रहमान से हुई। हमने घटना के बारे में उनसे बात की, तो वो रोने लगे हो गए। फिर बोले- हमारा हंसता खेलता परिवार था। न जाने किसकी नजर लग गई। हम चार भाई मैं, सहजात, इसराइल और रज्जावली हैं। मेरे दो बेटे मुनव्वर और सलामुद्दीन हैं। सहजात को एक बेटा है, जिसकी शादी हो चुकी है। इसराइल और रज्जावली की भी शादी हो चुकी है। 3 साल से हमारे गांव में तेंदुए का आतंक है। आगे वह कुछ बोल न सकें, रोने लगे। इसके बाद हमारी नजर घर के बाहर खड़ी बच्ची पर पड़ी। हमें देखते ही वह भी रोने लगी। उसके आंसू नहीं रुक रहे थे। हमने पूछा कल क्या हुआ था? इस पर बच्ची बस इतना बोल सकी कि मेरे बगल से बहन को उठा ले गया। वह फिर से रोने लगी। थोड़ी देर बाद हमने फिर से अब्दुल रहमान से बात की। उन्होंने बताया कि गुरुवार शाम मेरी 7 साल की पोती आलमीन घर के बाहर खेल रही थी। मैंने उससे पीने के लिए पानी मांगा। वह पानी लेकर आई। तभी बगल के खेत से तेंदुआ निकला और उसे दबोचकर खेत की तरफ भाग गया। चीख-पुकार सुनकर परिवार के लोग दौड़े। घर से 500 मीटर दूर गन्ने के खेत में तेंदुआ बच्ची को जबड़े में दबोचे खड़ा था। शोर मचाने पर वह बच्ची को छोड़ कर भाग गया। हम बच्ची को अस्पताल लेकर भागे, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों ने बताया कि आलमीन की गर्दन पर तेंदुए के पंजों के गहरे निशान हैं। गले की हड्डी टूटी थी और सिर पर भी गंभीर चोटें थीं। अब जानिए 3 साल में कब-कब तेंदुए ने अटैक किया 3 साल पहले पोते को मारा: अब्दुल रहमान ने बताया- करीब 3 साल पहले जनवरी, 2023 मेरे भाई रज्जावली का बेटा शीबू (8) घर के बाहर खेल रहा था। उसे तेंदुआ लेकर भाग गया था। चीख-पुकार सुनकर हम हम दौड़े। लेकिन बच्चा कहीं नहीं मिला। हमने उसे बहुत ढूंढा। अगले दीन खेत में उसकी लाश मिली थी। 1 साल पहले पोती को मार डाला: दिसंबर, 2024 में कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे थे। छप्पर के नीचे मेरे भाई इजराइल की बेटी आयशा (7) सोई थी। रात में तेंदुआ आया और जबड़े में भरकर आयशा को उठा ले गया। उसकी चीख सुनकर परिवार के लोग खेतों की तरफ भागे। लेकिन, अंधेरा होने से कुछ नहीं दिख रहा था। हम पूरी रात आयशा को ढूंढते रहे। तब कहीं घर से 1 किमी दूर जाकर खून से लथपथ उसका शव मिला। बच्ची का हाथ तेंदुआ चबा गया था। खेत से बहू को खींच ले गया: अब्दुल रहमान ने बताया- जून, 2025 में मेरे भाई सहजात की बहू जाहिरा (35) खेत में काम कर रही थी। हम लोग भी कुछ दूरी पर काम कर रहे थे। तभी बगल के खेत से निकल कर तेंदुए ने उस पर हमला कर दिया। हम फावड़ा-कुदाल लेकर भागे। तेंदुए ने बहू का गला दबोच रखा था। कुछ दूर ले जाने के बाद वह बहू को छोड़कर भाग गया। हम खून से लथपथ बहू को लेकर अस्पताल लेकर भागे, लेकिन उसे बचा नहीं पाए। बच्ची के पिता मुनव्वर बोले- जंगल से सटे होने से होते हैं हमले
बच्ची के पिता मुनव्वर ने बताया- हमारे घर से कुछ ही दूरी पर जंगल है। आसपास गन्ने के खेत हैं। इससे तेंदुआ हमला करने के बाद खेत में छिप जाता है। अक्सर यहां जंगली जानवरों के हमले की घटनाएं सामने आती रहती हैं। यह पूरा इलाका सेंचुरी क्षेत्र में आता है और लोगों के घर जंगल से सटे हैं। कल भी तेंदुए ने गन्ने के खेत से निकलकर मेरी बेटी आलमीन पर हमला किया। हम बच्ची को बचा नहीं पाए। मेरी पत्नी बेटी की लाश देखते ही बेहोश हो गई। जानिए क्यों हो रहे हमले गांववालों ने बताया कि यह गांव के जंगल के करीब है। यहां ज्यादातर गन्ने की खेती की जाती है। जंगल होने से तेंदुए न तो पकड़े जा र,हे न तो इनसे बचने के लिए सुरक्षा के कोई इंतजाम हैं। हमला कर तेंदुए जंगल में भाग जाते हैं। ग्रामीणों ने तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरा और सोलर लाइट लगाने की मांग की। लोगों को कहना है कि इस गांव में तेंदुए की कई घटनाएं हो चुकी हैं। लेकिन, वन विभाग की ओर से सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए जा रहे। वहीं, कतर्निया घाट वन्यजीव प्रभाग के DFO सूरज कुमार ने बताया- तेंदुए के हमले में बच्ची की मौत हुई है। तेंदुए को जंगल की ओर खदेड़ने के लिए वनकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। वन विभाग की टीम मौके पर भी गई थी। लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा गया है। ———————— ये खबर भी पढ़ें… 90 हजार किराए के लिए मालकिन की हत्या, गाजियाबाद में कातिल पति-पत्नी बोले- कोई हाथ उठाए; ये बर्दाश्त नहीं गाजियाबाद में टीचर दीपशिखा (40) की हत्या कर दी गई। कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने किरायेदार पति-पत्नी से किराया मांगा था। 6 महीने में 90 हजार रुपए बकाया हो गया था। दीपशिखा के हाथ महिला ने पकड़े, पति ने गले में फंदा कस दिया। चिल्ला न सके, इसलिए उनके मुंह में चुनरी ठूंस दी। पत्नी ने प्रेशर कुकर दीपशिखा के सिर पर इतनी तेज मारा कि उनका गले की हड्डी टूट गई। पढ़ें पूरी खबर…
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