शाहजहांपुर में बहन का तिलक लेकर जा रहे भाई और भतीजे की सड़क हादसे में मौत हो गई। जिस अपाचे बाइक को तिलक में दूल्हे को देना था, उसी पर सवार होकर दोनों तिलक चढ़ाने जा रहे थे। रास्ते में पुल पर दो साल से पड़े पत्थरों से बाइक टकरा गई। दोनों उछलकर सिर के बल पत्थर से टकरा गए। मौके पर ही दोनों ने दम तोड़ दिया। टक्कर इतनी तेज थी कि बाइक के भी परखच्चे उड़ गए। पुल पर लाइट की व्यवस्था न होने के कारण घना अंधेरा था, जिसके कारण पत्थर नजर नहीं आए। 6 दिन बाद ही बहन की शादी है। ऐसे में हादसे के कारण शादी की खुशियां मातम में बदल गई हैं। घटना जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर जलालाबाद थाना क्षेत्र के कोला पुल की है। अब पूरा मामला विस्तार से पढ़िए…
तिलहर थाना क्षेत्र के ढकिया रघा गांव निवासी रविंद्र (30) की बड़ी बहन अरुणा देवी की कलान थाना क्षेत्र के जखिया गांव में 30 नवंबर को शादी है। रविवार को तिलक जाना था। परिवार के लोग कार लेकर घर से 40 किलोमीटर दूर तिलक समारोह के लिए रवाना हुए थे। रवींद्र अपने भतीजे मोनू (27) को लेकर उसी अपाचे बाइक से रवाना हुआ था, जिसे तिलक में दूल्हे को देना था। दोनों रात करीब 9 बजे जलालाबाद थाना क्षेत्र के कोला पुल पर पहुंचे थे। अंधेरे में पुल पर पड़े बड़े-बड़े पत्थर उन्हें दिखाई नहीं दिए। लिसके कारण तेज रफ्तार बाइक पत्थर से टकरा गई। टक्कर इतनी तेज थी कि बाइक करीब 8 फुट तक दूर जा गिरी और परखच्चे उड़ गए। रवींद्र और मोनू सिर के बल पत्थर से टकरा गई। दोनों के सिर फट गए। मौके पर ही दम तोड़ दिया। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों को जलालाबाद सीएचसी पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जलालाबाद थाना प्रभारी राजीव तोमर ने बताया- कोला पुल के पास सड़क किनारे रखे पत्थर से बाइक टकराने से दो लोगों की मौत हुई है। दोनों तिलक समारोह में जा रहे थे। शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। दो साल से पुल पर पड़े पत्थर, हटाए नहीं गए
स्थानीय लोगों ने बताया- दो साल पहले कोला पुल बनकर तैयार हुआ था। पुल पर शुरुआत में वाहनों के ट्रायल के लिए बड़े वाहनों का आवागमन रोकने को बड़े-बड़े पत्थर रखकर बैरिकेडिंग बना दी गई थी। अब तक इन पत्थरों को नहीं हटाया गया। केवल किनारे खिसका दिया गया। लोगों ने बताया- पुल पर लाइट की भी समुचित व्यवस्था नहीं हैं, जिसके कारण आए दिन हादसे होते हैं। बाइक चालक रवींद्र को भी अंधेरे के कारण ये पत्थर दिखाई नहीं दिए। जिसके कारण ये हादसा हो गया। मोनू की एक महीने पहले ही हुई थी बेटी
रवींद्र अविवाहित था। परिवार में माता-पिता के अलावा 6 भाई और दो बहने हैं। वहीं मोनू की 3 साल पहले शादी हुई थी। उसे 2 साल का बेटा है। एक महीने पहले ही एक बेटी भी हुई है। दोनों खेती-किसानी करके परिवार के भरण-पोषण में हाथ बंटाते थे। ————————————– ये खबर भी पढ़िए… वृद्धाश्रम में मरी मां, बेटा बोला- फ्रीजर में रखवा दो:घर में शादी है, बॉडी आई तो अपशगुन होगा; गोरखपुर में रिश्तेदारों ने लाश दफनाई गोरखपुर में बड़े बेटे ने मां का शव लेने से मना कर दिया। उसने पिता से कहा- घर में शादी है। इस समय लाश आई तो अपशगुन होगा। 4 दिन फ्रीजर में लाश रखवा दो। शादी के बाद आकर दाह संस्कार करवा दूंगा। मगर वह अपनी पत्नी की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए शव को गांव ले गए। जहां रिश्तेदारों ने घाट किनारे शव को दफना दिया। पति ने रोते हुए कहा- बेटा और रिश्तेदार कह रहे हैं कि 4 दिन बाद मिट्टी से बाहर निकाल कर अंतिम संस्कार करवा देंगे। मगर 4 दिन में शव को कीड़े खा जाएंगे। पढ़िए पूरी खबर…
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