बस्ती। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में शनिवार को ‘शिक्षा में समानता एवं समावेशन में शिक्षकों की भूमिका’ विषय पर एक दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया। डायट प्राचार्य संजय कुमार शुक्ल के निर्देशन में हुए इस कार्यक्रम में जिले के विभिन्न ब्लॉकों से 62 शिक्षक और डीएलएड के 23 व 24 बैच के प्रशिक्षु शामिल हुए। सेमिनार की मुख्य अतिथि महिला महाविद्यालय बस्ती की प्रोफेसर डॉ. सुनीता त्रिपाठी ने समावेशी शिक्षा को एक संवेदनशील दृष्टिकोण बताया। उन्होंने कहा कि हर बच्चे को उसकी क्षमता के अनुसार सीखने का अवसर मिलना चाहिए। डॉ. त्रिपाठी ने शिक्षकों को विद्यालय में समानता आधारित वातावरण बनाने वाली पहली कड़ी बताया। विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य वक्ता डॉ. सुरभि सिंह ने लैंगिक समानता और शिक्षा की अनिवार्यता पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोर दिया कि शिक्षा का उद्देश्य केवल बालिकाओं को सशक्त बनाना नहीं, बल्कि सभी बच्चों में न्यायपूर्ण और संवेदनशील सोच विकसित करना है। डॉ. सिंह ने कहा कि यदि शिक्षक अपनी कक्षा में भाषा, व्यवहार और गतिविधियों में लैंगिक तटस्थता अपनाते हैं, तो समाज में स्थायी परिवर्तन संभव है। सेमिनार में भाग लेने वाले प्रतिभागियों ने छह उपविषयों पर प्रभावी प्रस्तुतिकरण दिए। इन उपविषयों में शिक्षा में समानता, समावेशी शिक्षा की अवधारणा, दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षकों की जिम्मेदारी, लैंगिक समानता, सामाजिक-आर्थिक असमानता और सकारात्मक दृष्टिकोण शामिल थे। कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डॉ. ऋचा शुक्ला ने बताया कि समावेशी शिक्षा केवल संरचनात्मक बदलावों से नहीं, बल्कि शिक्षकों की संवेदनशीलता, प्रतिबद्धता और नवाचारपूर्ण शिक्षण-पद्धतियों से सफल होती है। उन्होंने इस प्रशिक्षण से मिली सीख को विद्यालयों में लागू करने को वास्तविक उपलब्धि बताया। सेमिनार के दौरान संकलित शोध एवं आलेखों पर आधारित एक पुस्तक का अनावरण अतिथियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम के समापन पर डायट प्रवक्ता डॉ. रविनाथ ने सभी अतिथियों, वक्ताओं और प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर प्रवक्ता कुलदीप चौधरी, वंदना चौधरी, अलीउद्दीन खान, शशि दर्शन त्रिपाठी, सरिता चौधरी और वर्षा पटेल सहित अन्य शिक्षणकर्ता उपस्थित रहे।
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