बस्ती में सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन ने सोमवार को कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन किया। पेंशनरों ने वित्त विधेयक 2025 और केंद्रीय आठवें वेतन आयोग को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की। इस दौरान एक आमसभा और धरना आयोजित कर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा गया। यह कार्यक्रम जिलाध्यक्ष नरेंद्र बहादुर उपाध्याय और जिला मंत्री उदय प्रताप पाल के नेतृत्व में हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त कर्मचारी, शिक्षक और पेंशनर शामिल हुए। वक्ताओं ने कहा कि वित्त विधेयक 2025 में पेंशनरों को तिथि के आधार पर विभाजित करना अन्यायपूर्ण है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के डी.एस. नाकरा फैसले का हवाला देते हुए बताया कि पेंशन कोई दया या अनुग्रह नहीं, बल्कि सेवाकाल का लंबित वेतन है। सभा में संगठन की तीन प्रमुख मांगें दोहराई गईं। इनमें वित्त विधेयक 2025 से तिथि आधारित भेदभाव समाप्त करना, केंद्रीय आठवें वेतन आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस में पेंशन पुनरीक्षण व अन्य पेंशनरी लाभों को शामिल करना, और पेंशन को “अनफंडेड व नॉन-कॉन्ट्रिब्यूटरी” बताने वाले क्लॉज एफ-3 को हटाना शामिल है। वक्ताओं ने तर्क दिया कि पूर्व के सभी वेतन आयोगों में वेतन निर्धारण के साथ पेंशन दायित्व को ध्यान में रखा गया है, इसलिए पेंशन को गैर-वित्तपोषित बताना गलत है। संगठन ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। धरना के बाद, पारित प्रस्ताव को एक ज्ञापन के रूप में जिलाधिकारी के प्रशासनिक अधिकारी सौंपा गया, जिसे प्रधानमंत्री तक प्रेषित किया जाएगा।
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