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बलिया के जेएनसीयू में भाषा-संस्कृति पर संगोष्ठी आयोजित:प्रो. प्रत्युष दुबे ने कहा, भाषा संवाद का माध्यम और संस्कृति की संरक्षक

बलिया के जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा सोमवार को ‘भाषा एवं संस्कृति’ विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर के हिंदी विभाग के प्रो. प्रत्यूष दुबे मुख्य वक्ता रहे। उन्होंने कहा कि भाषा संवाद का माध्यम होने के साथ-साथ संस्कृति की संरक्षक भी है। प्रो. प्रत्यूष दुबे ने अपने संबोधन में बताया कि भाषा ने मनुष्य की चेतना का संस्कार किया है। उन्होंने यह भी कहा कि भाषा में शब्द की शक्ति उसके लोक से मिलती है, और लोक ही शब्द के अर्थ को समृद्ध करता है। उन्होंने भारत की सांस्कृतिक एकता पर जोर देते हुए कहा कि यह विभिन्न भाषाओं में संरक्षित है। भाषाएं संस्कृति के प्रवाह का माध्यम हैं। प्रो. दुबे ने साहित्य के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि साहित्य ने भारत के सांस्कृतिक गौरव को समृद्ध किया है। प्रो. प्रत्यूष दुबे ने कहा कि भाषा ने ही हमारी सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय एकता को संरक्षित किया है। उन्होंने सभी से अपनी भाषाओं का संरक्षण करने का आग्रह किया, क्योंकि भाषा हमारी अस्मिता का निर्माण करती है, और यही अस्मिता देश के राष्ट्रीय गौरव का निर्माण करती है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रमोद शंकर पाण्डेय ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. संदीप यादव ने दिया। इस अवसर पर डॉ. अभिषेक मिश्र, डॉ. प्रवीण नाथ यादव, प्रो. निवेदिता श्रीवास्तव, प्रो. अखिलेश राय, प्रो. बब्बन राम, प्रो. अजय बिहारी पाठक, प्रो. संतोष कुमार सिंह, प्रो. जैनेन्द्र पाण्डेय, प्रो. अशोक कुमार, प्रो. ब्रजेश त्यागी सहित परिसर एवं महाविद्यालयों के प्राध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।


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