नीति आयोग द्वारा आकांक्षात्मक जिलों में शामिल बलरामपुर और श्रावस्ती के लोगों का हवाई सफर का सपना अब भी अधूरा है। इन जिलों में एयरपोर्ट मौजूद होने के बावजूद नियमित हवाई सेवाएं शुरू नहीं हो सकी हैं, जिससे क्षेत्र के विकास की गति धीमी पड़ गई है। श्रावस्ती के पूर्व सांसद दद्दन मिश्र ने बीते अगस्त में नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू से मुलाकात की थी। उन्होंने श्रावस्ती एयरपोर्ट से दिल्ली, मुंबई, वाराणसी, प्रयागराज और गया जैसे प्रमुख शहरों के लिए उड़ानें शुरू करने का आग्रह किया था। मंत्रालय ने इस मांग को स्वीकार किया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। बलरामपुर में एयरपोर्ट विस्तार का कार्य जारी है, जिसमें किसानों की भूमि का क्रय-विक्रय प्रक्रिया में है। इसके बावजूद, हवाई सेवा कब शुरू होगी, इसकी समय सीमा को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। श्रावस्ती अपनी बौद्ध तपोभूमि के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है, जहां चीन, जापान, थाईलैंड और श्रीलंका जैसे देशों से बड़ी संख्या में बौद्ध और जैन श्रद्धालु आते हैं। वहीं, बलरामपुर के तुलसीपुर में स्थित प्रसिद्ध देवीपाटन मंदिर, जो 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां भी देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसके बावजूद, स्थानीय लोगों और पर्यटकों को हवाई यात्रा के लिए अभी भी लखनऊ के अमौसी एयरपोर्ट पर निर्भर रहना पड़ता है। वर्ष 2024 में श्रावस्ती एयरपोर्ट से लखनऊ के लिए 19 सीटर हवाई सेवा शुरू की गई थी, लेकिन यात्रियों की कम संख्या के कारण इसे जल्द ही बंद कर दिया गया। इसके बाद, पूर्व सांसद दद्दन मिश्र ने 20 अगस्त को दोबारा पत्र लिखकर श्रावस्ती से बड़े शहरों के लिए उड़ानें बहाल करने की मांग की। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने दिशा-निर्देश जारी किए, लेकिन तीन माह बीत जाने पर भी कोई कार्रवाई न होने पर पूर्व सांसद ने 19 नवंबर को पुनः पत्र भेजकर व्यवस्था शुरू करने की आवश्यकता दोहराई।
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