बलरामपुर जिले में मध्याह्न भोजन योजना में करोड़ों रुपये के घोटाले का मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। जांच में खुलासा हुआ है कि वर्ष 2021 से 2025 के बीच 11 करोड़ रुपये से अधिक की राशि फर्जी तरीके से निकाली गई। यह स्थिति तब बनी जब विद्यालयों के शिक्षक वर्षों से कन्वर्जन कास्ट उपलब्ध न होने की शिकायतें कर रहे थे। शिकायतों की संख्या बढ़ने पर विभाग ने रजिस्टर तैयार करवाए, लेकिन तब तक बड़ी धनराशि का गबन किया जा चुका था। इस मामले की आंच अब विभागीय कर्मचारियों, कई विद्यालयों के शिक्षकों और अधिकारियों तक पहुंचना तय है। पुलिस ने मिड डे मील के जिला समन्वयक फिरोज अहमद ख़ां के साथ एक प्रधानाध्यापक, एक सहायक अध्यापक, एक प्रधान और विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। वहीं, बीएसए ने पाँच शिक्षकों को निलंबित कर दिया है और डीसी एमडीएम को सेवा से हटा दिया गया है। इस कार्रवाई के बाद विभागीय दफ्तरों में अफरातफरी का माहौल है। फिरोज अहमद खां वर्ष 2008 से जिला समन्वयक के पद पर तैनात थे। बीएसए द्वारा दर्ज कराई गई तहरीर से पता चला है कि 2021 से 2025 के बीच बड़े पैमाने पर फर्जी भुगतान किए गए। हालांकि, प्रारंभिक जांच में संकेत मिले हैं कि अनियमितताएं योजना की शुरुआत से ही चल रही थीं। इस अवधि में कई बीएसए बदले गए, जिनमें हरिहर प्रसाद, महेंद्र कुमार कनौजिया (अब दिवंगत), डॉ. रामचंद्र, कल्पना देवी और जुलाई 2024 में आए वर्तमान बीएसए शुभम शुक्ला शामिल हैं। इनमें से किसी ने भी अनियमितताओं को पकड़ने का प्रयास नहीं किया। हाल ही में एक शिकायत मिलने पर वर्तमान बीएसए ने फाइलों की जांच कराई, जिसके बाद पूरी गड़बड़ी उजागर हुई। विद्यालयों की धनराशि का वर्ष में दो से तीन बार ऑडिट होता है।इसके बावजूद,लगातार पाँच वर्षों तक कन्वर्जन कास्ट के भुगतान पर कोई सवाल नहीं उठाया गया। यह भी जांच का एक अहम मुद्दा बन गया है। अभी केवल सीमावर्ती क्षेत्रों के कुछ विद्यालयों की गड़बडिय़ा सामने आई हैं। यदि व्यापक स्तर पर जांच की जाए, तो घोटाले का आकार और बड़ा हो सकता है।
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