बलरामपुर जिले के बिजली उपकेंद्रों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों ने शनिवार रात को विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने 29 नवंबर 2025 के समझौते पत्र की प्रतियां जलाकर अपनी नाराजगी व्यक्त की। यह प्रदर्शन उन लंबित मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया, जिन पर वर्षों से कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कर्मचारियों का आरोप है कि पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन ने 15 मई 2017 और 18 सितंबर 2025 के आदेशों का उल्लंघन किया है। इसके तहत लगभग 15,000 कर्मचारियों की छंटनी की गई है। इसके अतिरिक्त, 55 वर्ष की आयु का हवाला देकर अनुभवी कर्मचारियों को हटाया जा रहा है, घायल कर्मचारियों का कैशलेस इलाज नहीं कराया जा रहा है, वेतन निर्धारित नहीं किया गया है और मीटर रीडरों को भी कार्य से हटा दिया गया है। मार्च 2023 में हटाए गए कर्मचारियों की वापसी भी अभी तक लंबित है। कर्मचारियों के अनुसार, 26 नवंबर 2025 को लखनऊ के शक्ति भवन में पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन और संगठन के पदाधिकारियों के बीच एक शांतिपूर्ण बैठक हुई थी। इस बैठक में कई बिंदुओं पर सहमति बनी थी। इनमें किसी भी कर्मचारी को न हटाना, 55 वर्ष से अधिक आयु वाले कर्मचारियों को रिक्त पदों पर तैनात करना और घायल कर्मचारियों के उपचार का खर्च वहन करना शामिल था। हालांकि, 29 नवंबर 2025 को जारी कार्यवृत्त (मिनट्स) में इन सहमतियों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया। इसके विरोध में बलरामपुर के कर्मचारियों ने 20 दिसंबर 2025 को अपने विभिन्न उपकेंद्रों में प्रदर्शन किया। भगवतीगंज उपकेंद्र में जिला अध्यक्ष सौरभ श्रीवास्तव के नेतृत्व में कर्मचारियों ने समझौते की प्रतियों को जलाकर अपनी नाराजगी व्यक्त की। इस विरोध प्रदर्शन में राजेश सिंह, अरविंद कुमार, रमेश चंद्र गौड़, हसरत अली और सुमित तिवारी सहित कई संविदा कर्मचारी उपस्थित थे। कर्मचारियों का यह आंदोलन केवल बलरामपुर तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे पूरे प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।
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