बलरामपुर के संयुक्त जिला अस्पताल परिसर में बनी बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी यूनिट पिछले आठ साल से शुरू होने का इंतजार कर रही है। अटल स्वशासी मेडिकल कॉलेज के अधीन इसका निर्माण पूरा हो चुका है, लेकिन चिकित्सकों और अन्य स्टाफ की तैनाती नहीं हुई है, जिससे अत्याधुनिक मशीनें बेकार पड़ी हैं। हाल ही में फुलवरिया बाईपास पर हुए एक भीषण सड़क हादसे ने इस अव्यवस्था को फिर उजागर किया। कंटेनर से टक्कर के बाद बस में लगी आग में झुलसे छह नेपाली यात्रियों को तत्काल इलाज के लिए बहराइच और लखनऊ रेफर करना पड़ा। यदि बर्न यूनिट चालू होती, तो इन मरीजों का उपचार जिले में ही संभव हो पाता। जिले में गंभीर रूप से झुलसे मरीजों के लिए अत्याधुनिक बर्न यूनिट को 2013-14 में मंजूरी मिली थी। इसका भवन 2017 में तैयार हो गया था, लेकिन डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद सृजित न होने के कारण यूनिट अब तक शुरू नहीं हो पाई है। प्राथमिक उपचार के बाद मरीजों को बाहरी जिलों में रेफर करना पड़ता है, जिससे कई बार उपचार में देरी के गंभीर परिणाम सामने आते हैं। वर्तमान में, यूनिट की देखरेख का अतिरिक्त प्रभार इंजेक्शन काउंटर के फार्मासिस्ट सैय्यद मोइज को दिया गया है। भवन में बर्न यूनिट से संबंधित कोई प्रमुख उपकरण नहीं है, हालांकि 16 वेंटिलेटर और कंसंट्रेटर बेकार पड़े हुए हैं। डॉक्टर से लेकर पैरामेडिकल स्टाफ तक किसी भी पद पर तैनाती न होने के कारण यह यूनिट केवल नाममात्र की रह गई है। संसाधनों की कमी के चलते बर्न यूनिट के भवन का उपयोग कभी एल-टू वार्ड तो कभी डेंगू वार्ड के रूप में किया जा रहा है। इसी तरह, इमरजेंसी सुविधाओं को मजबूत करने के लिए बनाया गया ट्रामा विंग भी प्राचार्य कार्यालय और विभिन्न कार्यक्रमों के लिए इस्तेमाल हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप, दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीजों को इमरजेंसी के छोटे कमरे में ही भर्ती करना पड़ता है। सीएमएस डॉ. राजकुमार वर्मा ने बताया कि बर्न यूनिट के संचालन के लिए शासन को 15 से अधिक बार पत्र भेजे जा चुके हैं। उपकरणों के रखरखाव के लिए फार्मासिस्ट को प्रभार दिया गया है, लेकिन यूनिट तभी शुरू हो सकती है जब डॉक्टर और आवश्यक स्टाफ की तैनाती हो।
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