बरेली के शाहबाद मोहल्ले में बने 27 घरों को लेकर बड़ा फैसला आया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच (जस्टिस अजीत कुमार व जस्टिस सत्यवीर सिंह) ने बरेली नगर निगम द्वारा जारी ध्वस्तीकरण नोटिस को फिलहाल रोक दिया है। कोर्ट ने साफ कहा- जब तक सक्षम प्राधिकरण अंतिम आदेश नहीं दे देता, तब तक किसी भी तरह की जबरन कार्यवाही नहीं की जाएगी। क्या है पूरा मामला शाहबाद मोहल्ले के 27 परिवारों को 9 अक्टूबर 2025 को नोटिस जारी हुआ था। इसमें कहा गया था कि घर अवैध निर्माण हैं और इन्हें 15 दिन के भीतर खाली कर तोड़ दिया जाए। स्थानीय लोगों ने इसे हाईकोर्ट में रिट दाखिल की थी। उनका तर्क था कि नगर निगम खुद उनसे टैक्स लेता है, तो निर्माण को अवैध कैसे बताया जा सकता है। कोर्ट ने क्या कहा सुनवाई में कोर्ट ने पाया कि नोटिस ‘शो-कॉज’ की तरह जारी हुआ है, लेकिन उसमें प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं हुआ। ऐसे में बिना व्यक्तिगत सुनवाई के सीधा ध्वस्तीकरण उचित नहीं है। कोर्ट ने आदेश दिया- हर अफेक्टेड व्यक्ति नोटिस का चार हफ्ते के भीतर जवाब दे। जवाब मिलने के बाद संबंधित प्राधिकरण दो महीने के भीतर ‘स्पीकिंग ऑर्डर’ जारी करे। जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, कोई भी बुल्डोजर कार्रवाई नहीं होगी। डीएम और नगर निगम को निर्देश राज्य सरकार की ओर से पेश स्टैंडिंग काउंसिल को कोर्ट ने आदेश की प्रति तुरंत बरेली प्रशासन को भेजने को कहा, ताकि किसी भी तरह की जबरन तोड़फोड़ न हो। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि तीन महीने की अवधि तक या अंतिम निर्णय आने तक नगर निगम कोई कार्रवाई नहीं करेगा। लोगों की बड़ी राहत इस फैसले के बाद शाहबाद मोहल्ले के 27 परिवारों ने राहत की सांस ली है। कई लोग पिछले एक महीने से घर टूटने की आशंका में सामान इधर-उधर कर रहे थे। अब कोर्ट के आदेश के बाद वे अपनी बात प्रशासन के सामने रख सकेंगे।
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