बदायूं में उसहैत थाना प्रभारी अजयपाल सिंह को लाइन हाजिर कर दिया गया है। डीआईजी बरेली रेंज एके साहनी की समीक्षा बैठक के तुरंत बाद एसएसपी डॉ. ब्रजेश सिंह ने यह कार्रवाई की। अजयपाल सिंह पर विवेचनाओं के निस्तारण में शिथिलता बरतने का आरोप है। उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने थाने का प्रभार संभालने के बाद पुलिस रेगुलेशन को दरकिनार कर मनमाने ढंग से थाने का संचालन किया। कुछ मामलों में नाबालिगों द्वारा अपराध किए जाने पर उन्होंने उनके माता-पिता या अभिभावकों को सजा दी। ऐसे तीन मामले सामने आए हैं। 22 नवंबर को कस्बे के चमेली देवी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में कक्षा सात-आठ की छात्राओं की पानी की बोतलों में पेशाब भरने और विद्यालय की दीवारों पर अश्लील शब्द लिखने की घटना हुई थी। आरोप नाबालिग लड़कों पर लगे और मुकदमा भी उन्हीं के खिलाफ दर्ज हुआ। हालांकि, पुलिस ने नाबालिगों के पिता इशरत अली, मोहम्मद अहमद, साबिर अली और शराफत अली को जेल भेज दिया। इसी तरह, 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री की फोटो एडिट कर उस पर अभद्र टिप्पणी लिखने के मामले में एक नाबालिग छात्रा पर आरोप लगा। पुलिस ने उसकी जगह उसके भाई दुष्यंत कुमार को जेल भेजा। 17 दिसंबर को कक्षा आठ की छात्रा के पिता की शिकायत पर चार नाबालिग बच्चों के खिलाफ अश्लीलता और छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज हुआ। इस मामले में भी पुलिस ने नाबालिगों के बजाय उनकी माताओं—रेश्मा, जमरुदजहां, शबानाबेगम और नाहिरा—को जेल भेज दिया। तत्कालीन एसएचओ अजयपाल सिंह का तर्क था कि बच्चों को उनके माता-पिता ही गलत संस्कार दे रहे हैं, इसलिए उन पर कार्रवाई की गई। उनकी इन कार्यप्रणालियों की शिकायतें उच्चाधिकारियों तक पहुंच चुकी थीं और वे निगरानी में थे। डीआईजी के क्राइम मीटिंग लेने के बाद उन पर यह कार्रवाई की गई।
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