बदायूं में गोकशी के मामलों में पुलिस की कार्रवाई में विरोधाभास सामने आया है। एक ही तरह के अपराध में जहां एक थाने की पुलिस एफआईआर दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार करती है, वहीं दूसरे थाने की पुलिस पकड़े गए आरोपियों को छोड़ देती है। यह मामला महज दो दिन के अंतराल पर सामने आया है। सहसवान कोतवाली पुलिस ने गुरुवार को छह गोवंश तस्करों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया। इन तस्करों को पशु प्रेमियों ने पकड़ा था और उनके पास से 64 पशु बरामद किए गए थे। इसके ठीक दो दिन पहले, 29 नवंबर को उसावां थाना पुलिस को भी गौवंशों सहित तीन तस्करों को पशु प्रेमियों और राष्ट्रीय बजरंग दल के पदाधिकारियों ने पकड़कर सौंपा था। हालांकि, उसावां पुलिस ने इन तीनों आरोपियों को थाने से रिहा कर दिया। उसावां पुलिस का दावा है कि उन्हें आरोपियों के पास से तस्करी का कोई साक्ष्य नहीं मिला। इस घटनाक्रम से यह सवाल उठता है कि या तो सहसवान पुलिस ने तस्करों की गिरफ्तारी में गलती की या फिर उसावां पुलिस ने उन्हें छोड़ने में। इस मामले में कौन सही है और कौन गलत, इसका फैसला अब उच्चाधिकारियों के हाथ में है।
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