बदायूं में गोवंशों के वध के लिए सक्रिय मेवाती गैंग को लेकर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि उसावां थाना पुलिस ने चार दिन पहले इस गैंग के तीन सदस्यों को पकड़ने के बाद छोड़ दिया, जिसका वीडियो भी वायरल हुआ है। यह घटनाक्रम तब सामने आया जब बुधवार को पशु प्रेमियों ने सहसवान कोतवाली क्षेत्र के जंगल से मेवाती गैंग के आठ सदस्यों को पकड़ा। इनमें पांच महिलाएं भी शामिल हैं। इस गैंग ने मंगलवार रात उझानी कोतवाली इलाके से 30 गोवंशों को पकड़कर तस्करों को बेचने की बात कबूल की है। इस ताजा खुलासे के बाद पुलिस जहां क्रेडिट लेने की तैयारी में थी, वहीं उसावां थाना पुलिस की पुरानी करतूत सामने आ गई। उसावां पुलिस ने मेवाती गैंग को पकड़ा तो था, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और उन्हें छोड़ दिया। इस धरपकड़ का वीडियो भी वायरल हुआ है। इतना ही नहीं, हिंदूवादी संगठन के नेता की ओर से पुलिस को तहरीर भी दी गई थी, लेकिन पुलिस ने उस तहरीर को भी दबा दिया। आज इस गैंग के पकड़े जाने के बाद उसावां पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
राष्ट्रीय बजरंग दल के प्रांतीय महामंत्री पंकज गुप्ता ने बताया कि 29 नवंबर को उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ उसावां थाना क्षेत्र के अकबरपुर गांव के पास से तीन तस्करों को पकड़ा था। उनके 10 से अधिक साथी भाग निकले थे। पकड़े गए तस्करों के पास गोवंशों का एक बड़ा झुंड भी मिला था।
पंकज गुप्ता ने तीनों तस्करों को पुलिस के हवाले किया और तहरीर भी दी। पुलिस ने जांच के बाद कार्रवाई का आश्वासन देकर उन्हें टरका दिया। बाद में पुलिस ने इन मेवाती तस्करों को रिहा कर दिया। धरपकड़ के दौरान पुलिस भी मौके पर पहुंची थी और आरोपियों को थाने लेकर आई थी।
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