उत्तर प्रदेश STF ने कोडीन युक्त फेन्सेडिल कफ सिरप की देशभर में चल रही बड़े पैमाने की तस्करी का अहम लिंक तोड़ते हुए बुधवार तड़के लखनऊ में दो आरोपियों अभिषेक शर्मा और शुभम शर्मा को गिरफ्तार कर लिया। गुरुवार को दोनों सहारनपुर निवासी आरोपी फर्जी फर्मों और बोगस बिलिंग के जरिए लंबे समय से नशे की दवा की अवैध सप्लाई कर रहे थे। गिरोह द्वारा तैयार की गई 65 से अधिक फर्जी फर्मों के नेटवर्क से सिरप को पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और बांग्लादेश तक भेजा जाता था। STF का ऑपरेशन: मवैया रोड से तड़के 4.20 बजे दबोचे गए आरोपी एसटीएफ को जानकारी मिली थी कि एबॉट कंपनी का दिल्ली का सुपर डिस्ट्रीब्यूटर और मुकदमे में वांछित अभिषेक शर्मा अपने भाई शुभम के साथ लखनऊ आया हुआ है और हजरतगंज की ओर जाने वाला है। टीम ने स्थानीय पुलिस के साथ घेराबंदी कर दोनों को आलमबाग- मवैया रोड पर टेडी पुलिया के पास गिरफ्तार कर लिया।गिरफ्तारी के दौरान दोनों के पास से दो मोबाइल फोन और फर्जी फर्मों से जुड़े 31 दस्तावेज बरामद हुए। फर्जी फर्मों का साम्राज्य: एबॉट से लेकर सीएफए लाइसेंस तक सब ‘मैनेज’ पूछताछ में अभिषेक शर्मा ने तस्करी का पूरा नेटवर्क उजागर कर दिया। उसने बताया कि 2019 से वह सहारनपुर में जी.आर. ट्रेडिंग के साथ काम करता था, जहां विशाल सिंह और विभोर राणा एबॉट कंपनी की दवाइयों विशेषकर फेन्सेडिल को फर्जी फर्मों के जरिए खरीद-बिक्री दिखाकर नशे के तस्करों को सप्लाई करते थे। सीए अरुण सिंघल की मदद से सचिन मेडिकोज, मारुति मेडिकोज, AV फार्मास्यूटिकल्स, श्री बालाजी संजीवनी जैसी अनेक बोगस फर्में खड़ी की गईं। फर्मों के बिल, ई-वे बिल और बैंकिंग ट्रांजेक्शन कागजों में ‘कानूनी’ दिखाए जाते थे, जबकि पूरा माल मारुति मेडिकोज के गोदाम में स्टोर रखा जाता था। कैसे होती थी तस्करी: 65 फर्जी कंपनियों के जरिए सिरप ‘कागजों में’ बेचकर बांग्लादेश भेजते थे अभिषेक ने बताया कि एबॉट कंपनी से आने वाली फेन्सेडिल सिरप को पहले उत्तराखंड और पश्चिम यूपी की छोटी फर्मों को बिल में बेचा दिखाया जाता था, फिर वही माल सहारनपुर की फर्मों के नाम पर ‘वापस खरीदा’ जाता था। इसके बाद फर्जी ई-वे बिल बनाकर माल को आगरा, कानपुर, बनारस, गोरखपुर और लखनऊ के रास्ते मालदा (WB), त्रिपुरा और फिर सीमा पार बांग्लादेश तक पहुंचा दिया जाता था।2024 में इसी नेटवर्क से भेजा गया बड़ा कंसाइनमेंट लखनऊ में STF ने पकड़ा था। अभिषेक का कबूलनामा: “जेल से छूटा विभोर राणा नेटवर्क चला रहा था, मैं सिर्फ कागजों में साइन करता था” पूछताछ में अभिषेक ने बताया कि विभोर राणा की गिरफ्तारी के बाद भी नेटवर्क जारी रहा।एबॉट कंपनी के अधिकारियों की मिलीभगत से मारुति मेडिकोज को सुपर डिस्ट्रीब्यूटर बनवाया गया। AV फार्मास्यूटिकल्स के नाम पर दिल्ली में उसकी साझेदारी दिखाई गई, जबकि सारा काम गिरोह संभालता था। अप्रैल 2024 में सीतापुर के फर्जी स्टॉकिस्टों के नाम पर भेजी गई फेन्सेडिल सिरप का बड़ा खेप पकड़ा गया था। शुभम की कहानी: दुबई की नौकरी छोड़कर तस्करी वाले ‘बिजनेस मॉडल’ में शामिल शुभम शर्मा ने बताया कि वह दुबई में DP World में काम करता था लेकिन विदेश जाने की तैयारी में भारत लौटा। बड़े भाई अभिषेक और गिरोह के सदस्यों ने उसे “बिजनेस” का लालच देकर शामिल कर लिया। उसके नाम पर श्री बालाजी संजीवनी नाम की फर्म बनाई गई और हर महीने उसे एक लाख रुपये दिए जाते थे। वह गिरोह के लिए बतौर ड्राइवर भी काम करता था गिरोह के बंगाल-बांग्लादेश कनेक्शन की जांच शुरू दोनों आरोपियों ने पूछताछ में पश्चिम बंगाल के दो अन्य सप्लायरों के नाम बताए हैं, जिनके जरिए सिरप बांग्लादेश तक भेजा जाता था। STF टीम अब उनके ठिकानों पर अभिसूचना संकलन कर रही है। गिरफ्तार आरोपियों पर पहले से कई मुकदमे दर्ज अभिषेक शर्मा के खिलाफ लखनऊ और गाजियाबाद में धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और NDPS एक्ट के तहत गंभीर मुकदमे दर्ज हैं। STF अब दोनों की गिरफ्तारी के बाद पूरे गिरोह के वित्तीय लेन-देन और बैंक खातों की फोरेंसिक जांच कराने जा रही है।
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