गोरखपुर में पकड़े गए फर्जी आईएएस ललित किशोर उर्फ गौरव कुमार सिंह के कारनामे चौंकाने वाले हैं। फर्जी आईएएस राज्यपाल से भी प्रशस्ति पत्र प्राप्त कर चुका है। जांच में सामने आया है कि आरोपी ने पहले समाज सेवा की आड़ में अपनी पहचान बनाई, फिर कोचिंग, यूट्यूब और प्रशासनिक संपर्कों का इस्तेमाल कर भरोसे का ऐसा जाल बुना, जिससे पढ़े-लिखे लोग भी उसके झांसे में आ गए। आरोपी ने सबसे पहले बिहार के बांका जिले में ललित वेलफेयर सोसाइटी नाम से एक एनजीओ खोलकर अपनी एंट्री की। समाज सेवा के नाम पर कार्यक्रम आयोजित किए गए। रांची में एक कार्यक्रम में उसे राज्यपाल स्तर से प्रशस्ति पत्र भी मिला। कोरोना काल में मास्क और सैनिटाइजर वितरण कर उसने अपनी छवि समाजसेवी की बनाई। राज्यपाल से मिले प्रशस्ति पत्र को वह भौकाल बनाने के लिए हर जगह दिखाता था। एनजीओ के बाद आरोपी ने लेन-देन और गतिविधियों को वैध दिखाने के लिए आदित्य 30 नाम से कोचिंग सेंटर खोला। बाबूटोला, अलीगंज और बांका-कटोरिया रोड पर उसने 3 कार्यालय खोले। अपनी कोचिंग को हाईफाई और प्रभावशाली दिखाने के लिए वह स्कूलों में जाकर टेस्ट कराने लगा। जिस भी स्कूल में जाता, वहां खुद को शिक्षा विभाग के किसी बड़े अधिकारी का रिश्तेदार बताता था, जिससे कोई उस पर शक न करे।
यूट्यूबर बनकर जिला प्रशासन के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ा आरोपी की चालाकी यहीं नहीं रुकी। उसने खुद को यूट्यूबर बताकर जिला प्रशासन से के व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया ग्रुपों में एंट्री ले ली। इससे उसे अधिकारियों की गतिविधियों, बैठकों और स्थानांतरण जैसी सूचनाएं मिलने लगीं। बाद में इन्हीं जानकारियों का इस्तेमाल वह अपनी फर्जी पहचान को मजबूत करने में करता था।
जांच में यह भी सामने आया है कि करीब तीन साल पहले उसने बांका, मुंगेर और झारखंड के गोड्डा इलाके में नौकरी दिलाने के नाम पर कई लोगों से ठगी की थी। जब पीड़ित उसके पीछे पड़े तो वहां के मकान मालिक उसके गांव पहुंचे। पता चला कि उसका घर खपड़ैल का है और वह काफी समय से वहां गया ही नहीं है। बांका से फरार होने के करीब डेढ़ साल बाद उसने खुद को आईएएस अधिकारी बताना शुरू कर दिया और ठगी का नया खेल शुरू हुआ। पुलिस के अनुसार आरोपी जहां भी जाता था। पहले उस जिले के प्रशासनिक अधिकारियों के बारे में पूरी जानकारी जुटाता था। कौन कहां तैनात है, किस अधिकारी का व्यवहार कैसा है। सबका होमवर्क कर वह अपनी स्क्रिप्ट तैयार करता था। इसी वजह से उसकी बातचीत में आत्मविश्वास झलकता था और लोग आसानी से भरोसा कर लेते थे। पुलिस अफसरों का कहना है कि आरोपी शार्प माइंड का था और हर कदम सोच-समझकर उठाता था।
जेलर से बोला ब्रोकर हूं, गलतफहमी में पुलिस ने पकड़ा सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तारी के बाद जेल में जेलर की पूछताछ में उसने भी खुद को ब्रोकर बताते हुए कहा कि उसे गलतफहमी में लाया गया है। और वह जल्द ही छूट जाएगा। वहीं कई जेल अधीक्षक और जेलर के नाम भी रट चुका है। पूछताछ में उनके नाम बताता है। इस संबंध में एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि फर्जी आईएएस गोरखपुर में भी पैर जमाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन समय रहते उसकी फर्जीवाड़े की पोल खुल गई। अब जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि उसके नेटवर्क में और कौन-कौन लोग शामिल थे। उसने कुल कितने लोगों को अपना शिकार बनाया। इसकी जांच की जा रही है। फर्जी आईएएस का शिकार बना बिहार का ठेकेदार करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी के बाद बिहार मोकामा के ठेकेदार माधव मुकुंद बार-बार गौरव को याद कर खुद को कोसते हैं। माधव का कहना है कि पूरी जिंदगी में ऐसा जालसाज उन्होंने कभी नहीं देखा। ठेकेदार ने बताया कि बिहार सीतामढ़ी निवासी ललित किशोर को वह गौरव कुमार सिंह के नाम से ही जानते हैं। उन्होंने बताया कि पहली बार सितंबर 2024 में बिहार के अररिया जिले में स्थित एक होटल में गौरव से मुलाकात हुई। वहां पर कई गाड़ियों से वह आया था। उसके साथ 24 बॉडीगार्ड गन लेकर चल रहे थे। होटल के कमरे से जैसे ही वह बाहर निकलता, सभी एक साथ खड़े होकर जय हिंद सर बोलने लगते। मुझे भी लगा कि कोई बड़ा अधिकारी है। होटल के एक हॉल में मेरे एक परिचित ने गौरव से मुलाकात कराई। होटल में गौरव के पहुंचने के कुछ देर बाद सज-धजकर 20 साल की लड़की आई तो उसने उसे भांजी बताया। उसके साथ रातभर कमरे में रहा। बोला- मुजफ्फरपुर से छापा मारकर आ रहा हूं
ठेकेदार माधव मुकुंद ने बताया- मैंने गौरव को नमस्कार किया। तब उसने अपने बगल की कुर्सी पर बैठने के लिए कहा। इस दौरान वह फोन पर किसी से बात करते हुए बोल रहा था कि मुजफ्फरपुर से छापा मारकर आ रहा हूं। वहां के सभी अधिकारियों को राइट टाइम कर दिया है। कल न्यूज की हेडलाइन में दिखेगा। ठेकेदार ने कहा कि मुझे यह सब सुनकर बहुत अच्छा लगा। बातचीत के दौरान ही पता चला कि वह IAS अफसर हैं। मैंने भी संपर्क बनाना शुरू किया। उसके रौब को देखकर मुझे पूरा यकीन था कि बहुत बड़ा अधिकारी होगा। 20 साल की लड़की होटल पहुंची, बोला भांजी है
रात 9 बजे करीब 20 साल की एक युवती सज-धजकर आई। होटल में सभी लोग उसे देखने लगे। तब गौरव ने बताया कि मेरी बहन की बेटी (भांजी) है। यह कहते हुए उसे अपने कमरे में लेकर चला गया। इसके बाद पूरी रात वह अपने कमरे से बाहर नहीं आया। सुबह उसके साथ के ही एक गार्ड ने भाभी बोलकर आपस में मजाक किया। गार्ड ने बोला कि भाभी अभी गई कि नहीं। यह कहते ही सब हंसने लगे। तब मुझे भी शक हुआ लेकिन मैंने सोचा कि बड़े अधिकारी हैं, यह सब तो होता रहता होगा। ठेकेदार माधव मुकुंद ने बताया- IAS से संपर्क बढ़ाने के लिए दो-तीन बार फोन पर बात हुई। तब गौरव ने कहा कि आकर मिलना, बड़ा काम बताता हूं, अभी बिजी हूं। 15 अप्रैल 2025 को मेरी पटना में गौरव से फिर मुलाकात हुई। गौरव ने उस दिन मुझसे बहुत अच्छे से बात की। काफी देर तक मुझे अपने साथ बिठाकर कामकाज के बारे में पूछा। मैंने बताया कि सरकारी विभागों का टेंडर लेता हूं। निर्माण का काम कराता हूं। तब उसने कहा, कहां छोटे मोटे काम कर रहे हो। चलो तुम्हें केंद्र का 500 करोड़ का बड़ा ठेका दिलाता हूं। इसके बाद मैं उसके साथ लग गया। वह जो कहता था, वो सब करता था। गोरखपुर में IAS ने घर बुलाया, कई बार मुलाकात हुई
गौरव ने अपने गुलरिहा स्थित घर का पता दिया था। वहां कई बार जाकर उससे मिला हूं। गौरव ने 450 करोड़ रुपए का एक ठेका दिलाने के लिए कहा था। उसका एक पेपर भी वॉट्सऐप से मुझे भेजा था। एक अखबार की कटिंग भेजी थी। उसमें भी 450 करोड़ के टेंडर के बारे में विज्ञप्ति दी हुई थी। मैं अब वह काम लेने के लिए पीछे लग गया। तीन से चार महीने में गौरव ने मुझसे 5 करोड़ रुपए से अधिक खर्च करा दिए। उसे लग्जरी गाड़ियां भी मैंने दी। लेकिन, धीरे-धीरे उसके कारनामे मेरे सामने आने लगे। मुझे भी पता चल गया कि वह केवल जालसाज है। लोगों से धाेखाधड़ी कर पैसे हड़पता है। कुछ दिन तक वह मेरे पैसे वापस करने के लिए कहता रहा। इसी लालच में मैं शिकायत नहीं कर रहा था। रेलवे स्टेशन पर पकड़े गए 99.9 लाख रुपए ठेकेदार के थे
7 नवंबर 2025 को रेलवे स्टेशन पर ठेकेदार माधव मुकुंद 99.9 लाख रुपए के साथ पकड़े गए थे। जीआरपी ने पकड़ी गई रकम का हिसाब न दे पाने के कारण 99.9 लाख रुपए जब्त कर लिए थे। ठेकेदार ने बताया कि गौरव को देने के लिए यह पैसे लाया था। जब उसकी जालसाजी के बारे में पता चला तो पैसे वापस लेकर जा रहा था। ठेकेदार ने बताया कि मेरे ठेके की कमाई है। उसका सारा कागजात मैंने गोरखपुर प्रशासन के पास जमा कर दिया है। पुष्टि के बाद मेरे पैसे मुझे मिल जाएंगे। ठेकेदार ने बताया कि पुलिस की पूछताछ में मैंने गौरव के फर्जीवाड़े के बारे में सारी कहानी बताई थी। इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की थी। लखनऊ में खरीदा फ्लैट, ठेकेदार गाड़ियां वापस ले गया
गौरव ने लोगों से ठगे रुपयों से लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार में लगभग 50 लाख रुपए में एक लग्जरी फ्लैट खरीदा था। लग्जरी गाड़ियां, ड्राइवर और प्राइवेट गार्ड, ठेकेदार माधव मुकुंद ने उपलब्ध कराए थे। जैसे ही गौरव के फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ होना शुरू हुआ, माधव मुकुंद लग्जरी गाड़ियां वापस लेकर चले गए। जांच अधिकारियों के अनुसार, गौरव ने अपनी लाइफस्टाइल इतनी चमकदार बना रखी थी कि कोई भी उसे IAS अधिकारी मानने में देर नहीं करता था। कीमती ब्रांडेड कपड़े, आईफोन, दो-दो लग्जरी गाड़ियां, प्राइवेट गार्ड, महंगे होटलों में मीटिंग और लगातार सफर सब कुछ उसके व्यक्तित्व के इर्द-गिर्द एक बड़ा झूठ खड़ा करता था। उसकी सोशल मीडिया प्रोफाइल में भी खुद को 2022 बैच का IAS बताते हुए सरकारी मीटिंग, योजनाओं और फाइलों की तस्वीरें पोस्ट की जाती थीं। प्रेमिका ने पुलिस से संपर्क किया था
पुलिस की जांच में एक और पर्दाफाश हुआ है। गौरव की गिरफ्तारी के लिए जब टीम सक्रिय हुई, उसी दौरान शहर में रहने वाली उसकी कथित प्रेमिका ने पुलिस से संपर्क किया। युवती ने बताया कि गौरव उससे लगातार संपर्क में था। उसकी वास्तविक लोकेशन लखनऊ के एक लग्जरी होटल में थी। युवती के बयान के आधार पर पुलिस ने गौरव की गतिविधियों का खाका तैयार किया। कॉल डिटेल, मोबाइल लोकेशन और सोशल मीडिया चैट की मदद से पुलिस ने उसके लखनऊ के आलमबाग में छिपे रहने की पुष्टि की। इसके बाद गोरखपुर आते ही उसे दबोच लिया। जांच में कई ठिकाने और संपत्तियां आ सकती हैं सामने पुलिस अब गौरव की अवैध संपत्ति, बैंक खातों और उन लोगों की सूची खंगाल रही है, जिनसे उसने सरकारी नौकरी, ट्रांसफर, ठेका और योजना स्वीकृत कराने के नाम पर रुपए ऐंठे। प्रारंभिक जांच में लखनऊ का 50 लाख का फ्लैट, बिहार में दो संपत्तियां और लखनऊ, गोरखपुर और बिहार में कई बैंक खातों के लेन-देन की जानकारी पुलिस को मिल चुकी है। पुलिस अब उसके बैंक खातों का विवरण निकालने के लिए संबंधित बैंकों से पत्राचार कर रही। एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि गौरव के पास से लेटरपैड और कई मोबाइल नंबर मिले हैं। जिनकी कॉल डिटेल निकलवाई जा रही। मोबाइल से ही गर्लफ्रेंड की बात भी सामने आई है। उनका भी बयान लिया जाएगा। वह कहते हैं- अगर कोई शिकायत करता है तो एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी। इसके अलावा फर्जी IAS के संपर्क में रहने वाले लोगों की लिस्ट बनाई जा रही है। कई राज्यों में धोखाधड़ी की है। वहां की पुलिस से संपर्क कर इसके बारे में और जानकारी जुटाई जा रही है। —————————————- फर्जी IAS की यह खबर भी पढ़ें – MSC पास ट्यूशन टीचर बना फर्जी IAS, यूपी में 4 गर्लफ्रेंड बनाईं, 3 को किया प्रेग्नेंट गोरखपुर में फर्जी IAS गौरव कुमार सिंह उर्फ ललित किशोर पकड़ा गया। वो सिर्फ IAS प्रोटोकॉल मेनटेन करके लिए हर महीने 5 लाख रुपए खर्च कर रहा था। 10-15 लोगों की टीम उसके आगे-पीछे चलती थी। सफेद इनोवा पर लाल-नीली बत्तियां लगाकर वह गांवों का दौरा करता था। पढ़िए पूरी खबर….
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