उत्तर प्रदेश एसटीएफ की साइबर टीम ने फर्जी आयुष्मान कार्ड बनवाकर सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना लगाने वाले संगठित गिरोह का खुलासा किया है। STF ने गिरोह के मास्टरमाइंड समेत 7 अभियुक्तों को गोमतीनगर विस्तार, लखनऊ से गिरफ्तार किया है। आरोप है कि गिरोह ने अब तक 2000 से अधिक अपात्र लोगों के आयुष्मान कार्ड बनवाकर विभिन्न अस्पतालों में मुफ्त इलाज कराया। पहले प्रयागराज से हुई थी कार्रवाई STF ने इससे पहले 17 जून 2025 को नवाबगंज, प्रयागराज से गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार कर 84 अपात्र लोगों के आयुष्मान कार्ड बरामद किए थे। इस मामले में थाना नवाबगंज, प्रयागराज में मुकदमा संख्या 279/2025 दर्ज कराया गया था। OTP बाइपास कर बनवाए जाते थे कार्ड STF के अनुसार, लखनऊ के आसपास सक्रिय यह गिरोह पूर्व साइबर कैफे संचालकों और ISA (Implementation Support Agency) के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से काम कर रहा था।गिरोह पात्र परिवारों की फैमिली आईडी में OTP बाइपास कर अपात्र लोगों को एड करता था। इसके बाद ISA और SHA (State Health Agency) स्तर पर सेटिंग के जरिए आयुष्मान कार्ड अप्रूव कराए जाते थे। 6 हजार में बनता था फर्जी कार्ड गिरफ्तार मास्टरमाइंड चन्द्रभान वर्मा ने पूछताछ में बताया कि वह प्रति कार्ड 6 हजार रुपये लेता था। 2 हजार रुपये फैमिली आईडी में अपात्र व्यक्ति को एड कराने में 1000 से 1500 रुपये ISA में कार्ड अप्रूवल के लिए SHA स्तर पर अप्रूवल के लिए 4500 से 5000 रुपये तक खर्च होते थे अस्पतालों में भी थी मिलीभगत पूछताछ में यह भी सामने आया कि कल्याण सिंह कैंसर इंस्टीट्यूट, लखनऊ में तैनात एक आयुष्मान मित्र और कंप्यूटर ऑपरेटर फर्जी कार्डों में जिले का मिसमैच ठीक करता था। इसके बाद इन्हीं कार्डों से अलग-अलग अस्पतालों में मुफ्त इलाज कराकर अवैध कमाई की जाती थी। करोड़ों का अवैध लेनदेन चन्द्रभान वर्मा ने बताया कि उसने ISA और SHA से जुड़े कर्मचारियों को अब तक करीब 20 लाख रुपये से अधिक कार्ड अप्रूवल के लिए दिए हैं। गिरोह के अन्य सदस्यों ने भी स्वीकार किया कि अब तक 2000 से ज्यादा फर्जी आयुष्मान कार्ड बनवाए जा चुके हैं। STF की जांच जारी STF का कहना है कि गिरोह से जुड़े अन्य आरोपियों, अस्पतालों और अधिकारियों की भूमिका की जांच की जा रही है।
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