फतेहपुर में 2024 बैच के युवा लेखपाल सुधीर कुमार की मौत के बाद प्रदेशभर में रोष व्याप्त है। इसी क्रम में शुक्रवार को सिद्धार्थनगर जिले की पांचों तहसीलों—नौगढ़, शोहरतगढ़, इटवा, डुमरियागंज और बांसी—में लेखपाल संघ ने सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान सात घंटे तक सभी तहसीलों का कामकाज ठप रहा। लेखपाल संघ का आरोप है कि सुधीर की मौत व्यक्तिगत कारणों से नहीं, बल्कि प्रशासनिक दबाव, अव्यावहारिक समय-सीमा और अधिकारियों की मनमानी का परिणाम है। संगठन के अनुसार, सुधीर ने अपनी शादी तय होने के कारण छुट्टी मांगी थी, लेकिन अधिकारियों ने एसआईआर ड्यूटी का हवाला देकर छुट्टी देने से इनकार कर दिया। 22 नवंबर को एसआईआर समीक्षा बैठक में अनुपस्थित रहने पर ईआरओ/डिप्टी कलेक्टर संजय कुमार सक्सेना ने सुधीर का निलंबन करा दिया। इसके बाद 25 नवंबर को राजस्व निरीक्षक सुधीर के घर पहुंचे और उन्हें चेतावनी दी कि “एसडीएम साहब का आदेश है, काम पूरा करो, नहीं तो निलंबन के बाद नौकरी भी जा सकती है… चाहो तो पैसे देकर किसी से काम करा लो।” परिवार का कहना है कि शादी का तनाव, छुट्टी न मिलना, निलंबन और सेवा समाप्ति की धमकी ने सुधीर को गंभीर मानसिक दबाव में डाल दिया, जिसके कारण उन्होंने यह कदम उठाया। मृतक की बहन ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की, लेकिन लगभग 30 घंटे तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई। परिवार और लेखपालों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने दबाव डालकर तहरीर बदलवाई और एफआईआर से मुख्य आरोपी माने जा रहे पीसीएस अधिकारी संजय सक्सेना का नाम हटवा दिया। एफआईआर में केवल राजस्व निरीक्षक को नामजद किया गया है। संगठन इसे पूरे मामले को कमजोर करने की सुनियोजित कोशिश बता रहा है। धरना-प्रदर्शन के दौरान पांचों तहसीलों में स्थानीय पदाधिकारियों ने मोर्चा संभाला। बांसी में तहसील अध्यक्ष विनोद गौतम और तहसील मंत्री भानुप्रताप, शोहरतगढ़ में तहसील अध्यक्ष आशीष संगम और मंत्री रजनीश विश्वकर्मा, डुमरियागंज में तहसील अध्यक्ष प्रवेश कुमार और मंत्री देवेंद्र कुमार राठौड़, इटवा में तहसील अध्यक्ष अमरदीप ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया।
https://ift.tt/b8GvyDz
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply