सीतापुर के रेउसा इलाके के एक प्राइवेट क्लीनिक में प्रसूता की मौत के मामले में लापरवाही की पुष्टि हुई है। जिलाधिकारी के आदेश पर गठित त्रिसदस्यीय जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में साफ हुआ है कि ऑपरेशन के बाद प्रसूता की हालत बिगड़ने के समय अस्पताल में कोई डॉक्टर मौजूद ही नहीं था। डॉक्टर की अनुपस्थिति और समय पर उपचार न मिल पाने को प्रसूता की मौत का मुख्य कारण माना गया है। जानकारी के अनुसार थानगांव थाना क्षेत्र के ग्राम चिरैया निवासी 35 वर्षीय गायत्री देवी को रविवार को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन प्राइवेट क्लीनिक लेकर पहुंचे थे। अस्पताल में प्रसव के बाद उनकी तबीयत तेजी से बिगड़ने लगी। परिजनों ने जब डॉक्टर को बुलाने की कोशिश की तो पता चला कि शाम के समय अस्पताल में कोई चिकित्सक मौजूद नहीं था। गंभीर हालत देखते हुए प्रसूता को लखनऊ रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में ही उनकी स्थिति और खराब होती चली गई। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि अस्पताल में सीसीटीवी कैमरे भी संचालित नहीं थे, जिससे घटनाक्रम की पुष्टि करने में कठिनाई आई। साथ ही, मरीज की हालत बिगड़ने के दौरान स्टाफ की लापरवाही और डॉक्टर की गैरमौजूदगी को गंभीर चूक माना गया है। टीम का कहना है कि वक्त रहते विशेषज्ञ चिकित्सा सहायता मिल जाती तो महिला की जान बचाई जा सकती थी। जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी गई है। अब डीएम रिपोर्ट के आधार पर अस्पताल संचालक के खिलाफ आगे की कार्रवाई तय करेंगे। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इस तरह की लापरवाही किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
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