प्रयागराज में एक दिन पहले पकड़े गए साइबर ठग गिरोह की जांच अब और बड़ा नेटवर्क उजागर कर रही है। गिरफ्तार तीनों युवक कानपुर देहात के नारायणपुरवा गांव के रहने वाले हैं, जिसे पुलिस अब उत्तर प्रदेश में उभरते हुए साइबर ठगी केंद्र के रूप में देख रही है। जांच में सामने आया है कि यहां के कई युवक लंबे समय से साइबर फ्रॉड में शामिल हैं और प्रदेश के अलग-अलग जिलों की पुलिस इनके खिलाफ पहले भी कार्रवाई कर चुकी है। एक दिन पहले क्या खुलासा हुआ था साइबर क्राइम टीम ने तीन युवकों को पकड़ा था जो लोगों को फोन कर खुद को लखनऊ क्राइम ब्रांच का एसपी बताते थे। इनके पास से कई मोबाइल फोन, सिम कार्ड, चेकबुक और पासबुक बरामद की गई थीं। शुरुआत में ही पुलिस को संदेह हो गया था कि यह कोई साधारण स्थानीय गिरोह नहीं, बल्कि बड़े नेटवर्क का हिस्सा है। पूछताछ में आरोपियों ने कबूला कि वे कई जिलों में इसी तरह की ठगी कर चुके हैं। एफआईआर के तथ्य: धमकी, डर और 1.15 लाख रुपए की उगाही तीनों ने सितंबर में धूमनगंज की रहने वाली एक महिला को शिकार बनाया था। 10 सितंबर 2025 को दोपहर में उसके मोबाइल पर फोन आया। कॉलर ने कहा कि वह लखनऊ क्राइम ब्रांच का एसपी आलोक पाठक बोल रहा है और उसके पास वादिनी की आपत्तिजनक तस्वीरें मौजूद हैं। धमकी दी कि तस्वीरें टीवी, अखबार और सोशल मीडिया में वायरल कर दी जाएंगी। भय में आकर वादिनी ने कुल 1 लाख 15 हजार रुपए चार बार में भेज दिए। बाद में स्पष्ट हुआ कि यह कॉल फर्जी था और इसी गिरोह का हिस्सा था। नारायणपुरवा गांव का नाम लगातार सामने क्यों आ रहा है इस गिरोह का खुलासा करने वाली टीम में शामिल एक इंस्पेक्टर ने बताया- कानपुर देहात का नारायणपुरवा गांव अब साइबर क्राइम का नया ठिकाना बनता जा रहा है। यहां के कई युवकों के खिलाफ अलग-अलग जिलों में साइबर ठगी के मुकदमे दर्ज हैं। प्रयागराज में पकड़े गए सभी आरोपी भी उसी गांव के हैं। अब पुलिस की आशंका और मजबूत हो गई है कि यह गांव बड़े पैमाने पर साइबर अपराधियों की गतिविधियों का केंद्र बन चुका है। जामताड़ा से कनेक्शन की पुष्टि पूछताछ में आरोपियों ने माना कि उनका संपर्क झारखंड के जामताड़ा साइबर गिरोह से था। पुलिस को इनके जामताड़ा आने-जाने के इनपुट भी मिले हैं। आरोपियों की कार्यप्रणाली जामताड़ा के मॉड्यूल से मिलती-जुलती पाई गई। इसी आधार पर पुलिस को संदेह है कि यह नेटवर्क यूपी और झारखंड के बीच सक्रिय है। नेटवर्क की परतें उधेड़ने में जुटी पुलिस गिरफ्तार युवकों से बरामद मोबाइल, सिम कार्ड, चेकबुक और पासबुक की फोरेंसिक जांच जारी है। पुलिस यह पता लगा रही है कि पैसे किन खातों में गए और किन नंबरों से कॉल किए गए। यह भी पता लगाया जा रहा है कि नेटवर्क के अन्य सदस्य कौन-कौन हैं। सूत्रों का कहना है कि जांच में और भी नाम सामने आ सकते हैं। कई जिलों के लोगों को बनाया शिकार जांच से यह भी स्पष्ट हुआ है कि यह गिरोह पूरे प्रदेश में एक ही शैली पर काम करता था। खुद को पुलिस या क्राइम ब्रांच अधिकारी बताना, अश्लील फोटो वायरल करने की धमकी देना, गिरफ्तारी का डर दिखाना और फिर डिजिटल भुगतान के जरिए उगाही करना इनकी पहचान बन चुकी थी। इसी प्रकार की शिकायतें प्रदेश के कई जिलों से लगातार मिल रही हैं। फिलहाल अयोध्या, कुशीनगर व गोंडा से तीनों आरोपियों के खिलाफ शिकायतें केंद्रीय जांच एजेंसियों तक पहुंचने की बात सामने आई है।
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