प्रयागराज में उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित राष्ट्रीय शिल्प मेले की सातवीं सांस्कृतिक संध्या रविवार को संपन्न हुई। इस अवसर पर लोक कला, संगीत और नृत्य की विविध प्रस्तुतियां देखने को मिलीं। ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को दर्शाती इस संध्या में देश के विभिन्न राज्यों के कलाकारों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। शिल्प हाट परिसर दर्शकों से खचाखच भरा रहा और देर तक उत्साह का माहौल बना रहा। सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ प्रयागराज के पुलिस महानिरीक्षक अजय कुमार मिश्रा और माध्यमिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज के सचिव भगवती सिंह ने दीप प्रज्वलन कर किया। केंद्र निदेशक सुदेश शर्मा ने विशिष्ट अतिथियों, जिनमें एडीजी प्रयागराज डॉ. संजीव गुप्ता, राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत्यकाम और राम प्रकाश राय शामिल थे, को अंगवस्त्र व पौधा भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम सलाहकार कल्पना सहाय ने स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया। सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत प्रयागराज की गायिका शुभी पाण्डेय ने भक्ति और लोक गीतों से की। उन्होंने ‘बाजे रे मुरलिया बाजे’, ‘मन लाग्यो मेरो यार फकीरी में’ और ‘प्रयाग नगरी बसे संगम के तीरे’ जैसे गीत प्रस्तुत किए। उनके डांडिया गीतों पर ढोल की थाप और डांडिया स्टिक्स की खनक ने माहौल को जीवंत बना दिया। इसके बाद, ग़ज़ल गायक संतोष पाण्डेय ने अपनी रोमांटिक ग़ज़लों से श्रोताओं की खूब सराहना बटोरी। नृत्य प्रस्तुतियों में सिंजनी सरकार और उनके साथियों ने भरतनाट्यम के माध्यम से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम द्वारा देवी शक्ति की आराधना पर आधारित एक भावपूर्ण प्रस्तुति दी। लोक नृत्यों की श्रृंखला में पंजाब का ऊर्जावान भांगड़ा व जिंदुआ, गुजरात का डांडिया, सिद्धी धमाल, तमिलनाडु का अम्मन अट्टम और वीर रस से ओतप्रोत ‘कजली की लड़ाई’ शामिल थे। इन प्रस्तुतियों ने मंच पर सांस्कृतिक विविधता का भव्य प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का संचालन प्रियांशु श्रीवास्तव ने किया। राष्ट्रीय शिल्प मेले की यह सांस्कृतिक संध्या दर्शकों के लिए यादगार बन गई, जिसमें परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम देखने को मिला।
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